निलेश सिंह –
कौशल उत्कल युवा शक्ति जनकल्याण समाज, भिलाई के युवा अध्यक्ष अविनाश प्रधान के नेतृत्व में उत्कल दिवस के शुभ अवसर पर फील परमार्थम फाऊंडेशन आश्रम भिलाई में आश्रित लोगो में मिठाइयां बाट कर सभी को यह शुभ अवसर की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। यह 1 अप्रैल को मनाया जाता है। इसे उत्कल दिवस के नाम से भी जाना जाता है। 1 अप्रैल, 1936 को ओडिशा एक अलग प्रांत बन गया। 1 अप्रैल को ओडिशा राज्य का 87वां स्थापना दिवस मना गया, जिसे उत्कल दिवस के नाम से भी जाना जाता है। 1936 में यह पहला राज्य था जिसका गठन भाषाई आधार पर किया गया था। पहले यह बिहार का हिस्सा था।ओडिशा के लोग अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं।
उत्कल दिवस का महत्व
उत्कल दिवस ओडिशा के लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। आइए Odisha Day in Hindi के उन कारणों पर गौर करें कि यह दिन इतना महत्वपूर्ण क्यों है।
ओडिशा का गठन उड़िया लोगों के वर्षों के संघर्ष और असंख्य बलिदानों का परिणाम था। उत्कल दिवस इन संघर्षों को याद करने और उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का दिन है जिन्होंने ओडिशा के लोगों के लिए एक अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ी।
उत्कल दिवस पूरे राज्य में खुशी का दिन है। यह ओडिशा के प्रत्येक निवासी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और अपनी विशिष्ट पहचान का जश्न मनाने का अवसर देता है।
उत्कल दिवस पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों को राज्य की संस्कृति के उत्सव में एक साथ लाते हैं। इन आयोजनों से राज्य के निवासियों में एकता और एकजुटता की भावना बढ़ती है।
ओडिशा राज्य के संघर्ष की याद को बरकरार रखने में अहम योगदान देता है। 1अप्रैल को ओडिशा अपना स्थापना दिवस मनाता है। क्योंकि इस दिन मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ हिस्सों को अलग-अलग राज्यों में विभाजित कर दिया गया था।इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देकर जश्न मनाते हैं।
उड़ीसा को किन- किन नामों से जाना जाता है?
प्राचीन काल से मध्यकाल तक ओड़िशा राज्य को कलिंग, उत्कल, उत्करात, ओड्र, ओद्र, ओड्रदेश, ओड, ओड्रराष्ट्र, त्रिकलिंग, दक्षिण कोशल, कंगोद, तोषाली, छेदि तथा मत्स आदि नामों से जाना जाता था। 1135 से लेकर 1948 तक कटक ओडिशा राज्य की राजधानी रही। इसके बाद भुवनेश्वर ओडिशा की राजधानी बनी। भारतीय संसद द्वारा 9 नवंबर 2010 को उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा रख दिया गया। ओडिशा को भगवान जगन्नाथ की भूमि भी कहा जाता है।
इस शुभ अवसर पर समाज के अध्यक्ष (बिलाती विजय धर), महासचिव (विजय धर), महा मंत्री (रोहित विभार), युवा उपाध्यक्ष (संजय जाल), युवा महासचिव (विशाल महानंद), युवा कोषाध्यक्ष (बाबू सागर), युवा सचिव (आनंद महानंद), युवा महामंत्री (दिनेश बाघ), युवा मंत्री (दीपक तांडी) एवं अन्य उपस्थित थे।
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