हिन्दू धर्म में जैसे एकादशी तिथि नारायण की पूजा के लिए मानी जाती है वैसे ही त्रयोदशी तिथि महादेव की पूजा के लिए विशेष मानी जाती है l त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है l प्रदोष काल सूर्यास्त से 45 मिनट पहिले प्रारम्भ होकर सूर्यास्त के बाद 45 मिनट होता है। प्रदोष का दिन जब साप्ताहिक दिवस सोमवार को होता है उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को होने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष तथा शनिवार के दिन प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत, भगवान शिव को प्रसन्न करने के सबसे अच्छे उपायों में से एक है l
इस बार सात फरवरी को कृष्ण पक्ष की त्रियोदिशी तिथि पड़ रही है. इसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. बुधवार को पड़ने वाली त्रियोदिशी तिथि को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है l धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है l साथ ही विभिन्न कार्यों में आ रही बाधा का भी नाश होता है l
प्रदोष व्रत महीने में दो बार, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। यह फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत है और यह बुधवार को पड़ रहा है इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह प्रदोष व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष में यानी 7 फरवरी 2024 को मनाया जाने वाला है।
बुध प्रदोष व्रत 2024:
तिथि और समय त्रयोदशी तिथि आरंभ – 7 फरवरी 2024 – 02:02 अपराह्न त्रैपदशी
तिथि समाप्त – 8 फरवरी 2024 – 11:17
पूर्वाह्न पूजा का समय – 7 फरवरी 2024 – शाम 05:42 बजे से रात 08:13 बजे तक
प्रदोष व्रत कैसे करें –
हिंदू धर्म में व्रत को अपनी आभा को शुद्ध करने का एक बेहतरीन उपाय माना जाता है। उपवास करने से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक जैसे कई फायदे होते हैं। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत करने पर आप स्वयं को आध्यात्मिक रूप से ऊपर उठा सकते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और आपको स्वस्थ बनाता है । यह मानसिक शांति देता है और सभी तनाव और चिंता को दूर करता है। इस व्रत को रखने से सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है और भगवान शिव आपकी सभी कष्टों से रक्षा करते हैं। इस व्रत के दौरान आप कई तरह के नियमों का पालन करते हैं जिससे आपको आंतरिक और बाहरी तौर पर अच्छा महसूस होता है। जानिए व्रत के नियम –
1. सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान कर लेना चाहिए। 2. अगर आप बाल्टी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर नहा लें तो अच्छा है। 3. आप इस व्रत को सिर्फ फल खाकर या भोजन में नमक या निराहार (बिना भोजन के) सिर्फ पानी या तरल पदार्थ लेकर रख सकते हैं। 4. यदि आप इस व्रत को करते रहते हैं तो यह आपके शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है। 5. शिव परिवार की मूर्ति रखें और सबसे पहले भगवान गणेश को तिलक लगाकर और गणेश मंत्र का जाप करके पूजा करें। 6. फिर मूर्ति को सफेद और लाल फूलों की माला से सजाएं। 7. भगवान शिव को तिलक और माता गौरी को सिन्दूर लगाएं। 8. मंत्र- पंचाक्षरी मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। 9. घर में बनी मिठाई, खीर और पंचामृत का भोग लगाएं। 10. मंदिर जाएं और अपनी इच्छानुसार जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करें। 11. भक्तों को शिव लिंग पर बेल पत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए।
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