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संत कबीर दास जयंती: कबीरदास ने मृत्यु के बाद दिखाया ऐसा चमत्कार, एक दूसरे का मुंह देखते रह गए हिंदू और मुसलमान

संत कबीर दास मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के अग्रणी कवि हैं। कबीर दास जी को हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग बहुत पसंद करते हैं। उन्हें हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की हैं। संत कबीर दास जी का जन्म सन 1398 ईसवी में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन काशी में हुआ था। उनके पिता के नाम नीरू और माता का नाम नीमा था। आज उनकी जयंती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं संत कबीर दास जी ने अपनी मृत्यु के लिए काशी को नहीं चुना था। बल्कि मगहर को चुना था। आइए जानते हैं इसके पीछा की रोचक कहानी क्या है।

संत कबीर दास जी ने अपनी मृत्यु के लिए मगहर को चुना जो की लखनऊ से लगभग 240 किमी दूर स्थित है। ऐसा उन्होंने लोगों के मन से भ्रम निकालने के लिए किया। दरअसल, उन दिनों ऐसी माना जाता था कि जो व्यक्ति मगहर में मरता है। उसे स्वर्ग में जगह नहीं मिलती है। लोगों का यही अंधविश्वास तोड़ने के लिए संत कबीर दास जी की मृत्यु मगहर में हुई थी।

News36garh Reporter

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