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मोमोज़ खाने से पहले हो जाएं सावधान,सेहत को पहुंचाते हैं गंभीर नुकसान..

शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कभी मोमोज न खाया हो। मोमोज इन दिनों कई लोगों का पसंदीदा स्ट्रीट फूड बन चुका है। सॉफ्ट और टेस्टी मोमोज बच्चे ही नहीं बड़े भी बेहद चाव से खाते हैं। हालांकि स्वाद से भरपूर यह डिश आपकी सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकती है। अगर आप भी इसे खाने के शौकीन हैं तो जानें इसके नुकसान-

मोमोज़ खाने से होते है ये नुकसान

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफ़ेक्शन

ज्यादा मात्रा में मोमोज़ का सेवन करने पर डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके चलते ब्लोटिंग, पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याएं बढ़ जाती है। इसमें प्रयोग की जाने वाली कच्ची सब्जियों को लंबे वक्त तक बिना धोए रखने से उनमें माइक्रोऑरगेनिज्म बढ़ने लगते है। गर्मी के मौसम में माइक्रोऑरगेनिज्म का विकास तेज़ी से होने लगता है, जिससे पेट में बैड बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं।

वज़न तेज़ी से बढ़ता है

मोमोज़ में मोनोसोडियम ग्लूटामेट की मात्रा पाई जाती है, जो मोटापे का कारण बनने लगता है। कैलोरीज़ से भरपूर मोमोज में अनहेल्दी फैट्स पाए जाते हैं। इससे वेट गेन के अलावा पाचन संबधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। फ्राइड मोमोज़ को तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला तेल भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। इससे शरीर में वसा का स्तर बढ़ जाता है और टाइप 2 डायबिटीज़ का जोखिम बढ़ने लगता है।

कैंसर का खतरा

रोज़ाना मोमोज खाने से आंतों में मैदा चिपकने लगता है। इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला अजीनोमोटो, प्रिजर्वेटिवस, मसाले और बैक्टीरिया ग्रस्त सब्जियां आंत के कैंसर का कारण बनने लगती हैं। इसके अलावा अनहाइजीनिक तरीके से तैयार की जाने वाली मोमोज की चटनी में इस्तेमाल किया जाने वाला रंग या डाई और मसाले कैंसर के जोखिम को बढ़ा देते हैं।

फ्राइड मोमोज़ को तलने के लिए प्रयोग किया जाने वाला तेल शरीर में अनहेल्दी फैट्स की मात्रा को बढ़ा देता है, जिससे बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने लगती है। इसमें पाई जाने वाली हाई सोडियम कंटेट की मात्रा ब्लड प्रेशर को बढ़ा देती है। इससे शरीर में कोलेस्ट्रोल का खतरा बना रहता है।

हाइजीन की कमी

ठेले पर तैयार किए जाने वाले मोमोज़ को पकाने के दौरान सब्जियों से लेकर इस्तेमाल किए जाने वाले तेल तक किसी भी चीज़ में हाइजीन का पूरा ख्याल नहीं रखा जाता है। सब्जियों को न धोने से गर्मी के मौसम में उनमें तेज़ी से बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इसके अलावा प्रयोग की जाने वाली चटनी से लेकर मसालों तक सभी को पीसने से लेकर पकाने तक बर्तनों की स्वच्छता की कमी पाई जाती है। इसके अलावा तलने के लिए प्रयोग किया जाने वाला तेल भी दिनभर एक ही इस्तेमाल किया जाता है, जिससे फूड पॉइज़निंग का खतरा बना रहता है।

News36garh Reporter

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