कोरबा –
सरगबुंदिया रेलवे स्टेशन में होते रहे कोयला घोटाला की तर्ज पर मानिकपुर की रेलवे साइडिंग में कोयला की अफरा-तफरी जोरों पर है। इस घोटाले में रेल्वे प्रबन्धन के अलावा एसईसीएल प्रबंधन और रेल्वे पुलिस की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है।
सिटी कोतवाली अंतर्गत मानिकपुर पुलिस चौकी क्षेत्र में कोरबा रेलवे स्टेशन में एसईसीएल मानिकपुर की कोयला साइडिंग है। यह साइडिंग जहां समाप्त होती है, उसके बाद लगभग 50 मीटर का खुला हिस्सा है। इसके बाद मुड़ापार से इमलीडुग्गू रेल्वे क्रासिंग है। इसी स्थान पर रेल्वे के वैगन से कोयला निकाल कर प्रतिदिन इकट्ठा किया जाता है और रात के अंधेरे में मालवाहनों में लोड कर बाहर भेजा जाता है। यहां से प्रतिदिन करीब 100 टन कोयले की अवैध निकासी किये जाने की जानकारी मिली है।
यह घोटाला बड़े ही सुनियोजित तरीके से किया जाता है। यहां कोई कांटा घर/वे-ब्रिज भी नहीं है कि ओव्हरलोड आए कोयले की पड़ताल हो। एसईसीएल खदान से जितनी भी कोयला मालगाड़ी से कोरबा रेल्वे स्टेशन में आता है, प्रायःउन सभी मालगाड़ियों के डिब्बों से ओव्हर लोड के नाम पर करीब एक-एक टन कोयला स्टेशन में रेल पटरी के किनारे गिरा दिए जाते हैं। बाद में पटरी के किनारे गिरे कोयले को मालवाहक आटो में भरकर बाहर निकाल लिया जाता है और मानिकपुर कोल साइडिंग के बगल में डम्प किया जाता है। इस काम में 30 से अधिक मजदूर और चार- पांच आटो लगे रहते हैं। रात होते ही मौके पर ट्रक आकर लग जाता है और कुछ ही मिनटों में लोडर के जरिये ऐसे ट्रकों में कोयला लोड कर गंतव्य के लिए रवाना कर दिया जाता है।
अहम बात यह है कि इस पूरे काम की निगरानी के लिए कुछ लोग पूरे समय बैठे रहते हैं। मौके पर एक लोडर स्थायी रूप से खड़ा करके रखा गया है। मौके पर कोयले का एक पुराना ढेर भी है, जिसमे कथित रूप से आग लगी हुई है। रेलवे ट्रेक से रोज कोयला निकाल कर यहां ढेर किया जाता है परंतु मौके में कोयला स्टॉक में कभी कोई इजाफा नजर नहीं आता।
सरगबुंदिया में सब सही था तो बंद क्यों किया…?
उल्लेखनीय है कि इसी तरीके से करीब 20 वर्ष से सरगबुंदिया रेलवे स्टेशन में भी लगातार कोयले की अफरा-तफरी की जाती रही। अवैध कोल साइडिंग संचालन का विरोध के बीच पिछले दिनों प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने पत्र लिखा, खुद गाड़ियां भी पकड़ीं। उनकी छानबीन में इस बात का खुलासा हुआ कि यहां से कोयले की अफरा-तफरी और तस्करी की जाती रही है। श्री कंवर के हस्तक्षेप से अवैध काम बंद तो कर दिया गया लेकिन रेलवे ने उनके पत्र पर जांच में सारा कुछ नियमों के तहत ही चलते रहने की बात कहकर पूरी जांच और अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल एक ही है कि-जब, सब कुछ वैधानिक था तो साइडिंग बन्द क्यों कर दी गयी? ग़लत तो हो रहा था लेकिन रेलवे के जांच दल ने केंद्र सरकार को ही गुमराह कर दिया..! अब इसी तर्ज पर कोरबा रेल्वे स्टेशन के साइडिंग में भी घपले का खेल खेला जा रहा है।
पुलिस की जांच का पता नहीं..
बता दें कि करीब 3 माह पहले सिटी कोतवाली पुलिस ने रेलवे स्टेशन की साईडिंग के पास से कोयला लोड तीन ट्रकों को जप्त किया था। इसी कार्रवाई में इस कोयला अफरा- तफरी की पुष्टि हुई थी। इस मामले में सिटी कोतवाली पुलिस ने मानिकपुर कोयला खदान के ट्रांसपोर्टर सहित नागपुर के एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया लेकिन इसके बाद की जांच कहां तक, किस नतीजे तक पहुंची है,सब गोपनीय है।
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