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आरंग में बोलबम के जयकारे के साथ निकाली कांवर यात्रा

आरंग संवाददाता – सोमन साहू

सावन का महीना शिव की आराधना के लिए विख्यात है। इन दिनों शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इसी क्रम में शिवालयों की नगरी आरंग में सावन के तीसरे सोमवार को भक्तिमय वातावरण रहा। नगर में स्वयंसेवी सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन ने बोलबम के जयघोष के साथ कांवर यात्रा निकाली। आरंग नगर की गलियों में बोलबम का नारा और भगवान महादेव का जयघोष गूंजता रहा। जलाभिषेक करने देशभर के अनेक नदियों के पवित्र जल को संग्रहित किया गया था। इससे जलाभिषेक कर नगर, क्षेत्र व देशवासियों के लिए सुख-समृद्धि की कामना की गई। भक्ति भाव से ओतप्रोत कांवर यात्रा का शुभारंभ बस स्टैंड में बने राजा मोरध्वज की प्रतिमा पर जल अर्पण से हुआ। कांवर यात्रा को नगर के प्रथम नागरिक नपाध्यक्ष चंद्रशेखर चंद्राकर ने रवाना किया। फाऊंडेशन के सदस्यों ने भगवान श्रीकृष्ण और राजा मोरध्वज से आशीर्वाद लेकर बोलबम का नारा लगाते हुए यात्रा शुरू की। सबसे पहले कुमारेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे। वहाँ जलाभिषेक करने के पश्चात नगर के सबसे बड़े महादेव भुवनेश्वर में जल चढ़ाया। कांवर यात्रा ब्राह्मण पारा होते हुए डमौआ तालाब स्थित मोक्षेश्वर ,जोबेश्वर महादेव, पंचमुखी महादेव से झलमला तालाब किनारे स्थित महादेव, ज्ञानेश्वर महादेव, जलेश्वर, बाबा बागेश्वरनाथ महादेव, रानी सागर तालाब किनारे स्थित त्रिलोकी महादेव, भूरेश्वर महादेव, झंझनेश्वर महादेव, धनीराम आश्रम के पास स्थित वटेश्वर महादेव, नकटी तालाब किनारे स्थित जागेश्वर महादेव से बस स्टैंड के निकट स्थित उमा महेश्वर महादेव में जल अर्पण कर पुनः राजा मोरध्वज की प्रतिमा में जल अर्पित कर यात्रा संपन्न हुआ। इस तरह करीब 8 किलोमीटर की यात्रा 3 घंटे में नगर की परिक्रमा करते हुए सम्पन्न हुआ। फाउंडेशन के सदस्यों ने बताया कि नगर में इस यात्रा का उद्देश्य नगर के देवालयों की महत्ता को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना व लोगों में नगर के शिवालयों के प्रति आस्था और विश्वास को बढ़ाना है।

नगर में अनेक प्राचीन शिवलिंग हैं, जो जन आस्था का केंद्र हैं। दर्शकों को बता दें कि पीपला संगठन विगत तीन वर्षों से नगर में कांवर यात्रा निकाल रहे हैं।
इस साल गंगोत्री, यमुनोत्री, सरस्वती, अलकनंदा, गरुड़ गंगा, सुल्तान गंज का जल, क्षिप्रा, त्रिवेणी संगम राजिम, सूखा नदी लाफिनकला, हरिद्वार से लाए गए कुल 24 नदियों का जल मिश्रण कर शिवलिंग में अर्पित किया गया। कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ इतने भोले हैं कि एक लोटा जल अर्पण से ही प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। सावन महीने भर शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

News36garh Reporter

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