तापमान में अचानक होने वाले बदलाव और उमस के बढ़ने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और ऐसे में वायरल संक्रमण आसानी से फैलता है। कफ या गला खराब होना, बुखार, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, मितली और डायरिया इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं। हालांकि, फ्लू के लक्षण भी एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन सामान्य सर्दी-जुकाम की तुलना में ये ज्यादा गंभीर प्रभाव डालता है। इसलिए इसकी जल्द पहचान करना जरूरी है।
गंदा पानी पीने और बाहर का खाना खाने से डायरिया, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और फूड प्वाइजनिंग जैसी पेट की समस्याएं हो सकती हैं। इसकी वजह से पेट में दर्द, मरोड़, मितली जैसे लक्षण नजर आते हैं।
आमतौर पर फंगल इन्फेक्शन की समस्या उमस व नमी वाले वातावरण होती है। इससे एथलीट फुट, दाद और यीस्ट इन्फेक्शन जैसे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके सामान्य लक्षणों में खुजली, लालिमा और सूजन शामिल है।
मानसून के दौरान जगह-जगह जल भराव होने से मच्छरों को पनपने का आदर्श माहौल मिल जाता है। जिनसे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। मलेरिया के प्रमुख लक्षणों में बुखार, ठंड लगना और पसीना आना शामिल है। वहीं डेंगू होने पर तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, जोड़ों में दर्द और चकत्ते जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
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