जांजगीर-चांपा

गोस्वामी तुलसीदास जी के जयंती अवसर पर विशेष आलेख। महाकवि तुलसीदासजी के साहित्य समाज के सच्चे पथ प्रदर्शक।

जांजगीर चांपा संवाददाता – राजेन्द्र जायसवाल

महानसंत,लोकनायक,रामोपासक, संतशिरोमणि, समन्वयवादी विचारक, सर्वमान्य ग्रंथ रामचरितमानस के रचयिता, पूज्यपाद,महाकवि तुलसीदास भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक थे।
आज तक राम भक्ति काव्य में जितने भी कवि हुए हैं, उनमें गोस्वामी तुलसीदास जी एकमात्र ऐसे कवि है, जिन्होंने सार्वदेशिक स्थान बनाया है। उनका महान उत्कर्ष रामचरित मानस में दिखाई पड़ता है।
यह बातें निराला साहित्य महिला मंडल चांपा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ कुमुदिनी द्विवेदी ने कहा है कि आज के परिवेश में तुलसीदास के साहित्य समाज के लिए पथ प्रदर्शक है।उन्होंने कठिन साधना से भारतीय संस्कार एवं संस्कृति को जीवित रखा। आज का समाज विजातीय भाव से विकृत हो रहा है। हम तुलसीदास की साहित्यिक रचनाओं को आत्मसात कर अपने अंतरपट को निर्मल बना सकते हैं। घोर अव्यवस्था, अशांति, निराशा के वातावरण में नीति व्यवहार युक्त उनके चिंतन का सौंदर्य मानव जीवन में उतर जाए तो जीवन धन्य हो जाएगा।
निर्मल मन जन सो मोहि भावा।
मोहि कपट छल छिद्र न भावा।।
तुलसीदास जी ने मानव को काम, क्रोध, लोभ से रहित होना सुखदाई बताया और यह बताया कि उनके इश्वर प्रभु श्री राम को कपट, छल, छिद्र बिल्कुल पसंद नहीं है। तुलसीदास जी ने संस्कार, धर्म नीति, मर्यादा, काम, क्रोध, लालच,मोह माया के ऊपर समाज को बहुत ही सुंदर हितकारिणी संदेश दिए है। जिसे अपनाकर मनुज अपना,देश व समाज की दिशा बदल सकते हैं। गोस्वामी तुलसीदासजी का चिंतन हर दिशा में बहुत ही व्यापक है, फिर वह काव्यशास्त्र हो,राजनीति हो, पारिवारिक आदर्श हो, लोकमंगल हो समन्वय हो या भक्ति। सच्चे अर्थों में गोस्वामी तुलसीदास एक महान भक्त, प्रबुद्ध कवि, समाज सुधारक, उपदेशक एवं तत्व दृष्टा,दार्शनिक थे। वे एक प्रबुद्ध विचारक एवं तत्व चिंतक महापुरुष थे। तुलसीदास ने अपने सभी ग्रंथों में श्रीराम के चरित्र एवं गुणों का गायन किया है। श्री राम उनके परम आराध्य देव है।
महाकवि गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवि है। गोस्वामी जी ने सभी छंदो मे रचना की है। सभी रस, अलकारों का प्रयोग उनकी रचनाओं में हैं इनकी रचना इतनी मधुर और सरल है कि इन्हें किसी भी राग रागिनी में गाया जा सकता है और इससे कम पढ़े लिखे लोग भी पढ़कर ज्ञान व उचित दिशा प्राप्त कर सकते हैं। रामचरितमानस, गीतावली, कविता वली,विनय पत्रिका, हनुमान बाहुक, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, कृष्ण गीतावली इत्यादि अनेक ग्रंथ तुलसीदास जी के प्रमुख रचनाएं हैं। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। हिंदी साहित्य में महाकवि तुलसीदास जी का युग सदा अमर रहेगा। विश्व साहित्य उनकी काव्य प्रतिभा के अक्षय प्रकाश से सदा प्रकाशित रहेगा। रामचरितमानस के माध्यम से प्रभु श्री रामजी को जन-जन तक पहुंचाने वाले महान संत कवि,तुलसीदास जी की आज जन्म जयंती है। साहित्य जगत के महान पुरोधा को अनवरत नमन एवं शत-शत अभिवादन करती हूं।
डॉ कुमुदिनी द्विवेदी
कार्यकारी अध्यक्ष
निराला साहित्य महिला मंडल
जिला जांजगीर चांपा छ.ग.

News36garh Reporter

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