-श्रीमद भागवत कथा श्रवण से इक्कीस पीढियां लाभान्वित होकर आनंद व मोक्ष को प्राप्त करती हैं…व्यास आचार्य श्री देवकृष्ण महाराज
-मां बाप के समान ही गुरु को भी अपने शिष्य की सफलता पर असीम गौरव की अनुभूति होती है… चितरंजय पटेल, अधिवक्ता, संरक्षक भागवत प्रवाह
राजेन्द्र जायसवाल –
मां बाप अपने पुत्र को सफलता के शिखर पर देख कर उनको असीम आनंद की अनुभूति होती है उसी प्रकार गुरु के लिए भी अपने शिष्य की सफलता सर्वथा गौरव का विषय होता है जो आज व्यासपीठ पर आचार्य देवकृष्ण को पाकर चरितार्थ हो रहा है यह उद्गार श्रीमद् भागवत कथा के मंच पर व्यक्त करते हुए भागवत प्रवाह के संरक्षक व उच्च न्यायालय के अधिवक्ता चितरंजय सिंह पटेल ने आयोजक बोधराम साहु परिवार को सौभाग्यशाली बताते हुए उनके प्रति साधुवाद प्रगट किया कि आज उनके पहल से ही भागवत कथा रुपी ज्ञान अमृत का रसपान हम सभी कर रहे हैं।
कथा व्यास आचार्य देवकृष्ण जी महाराज ने आज अंतिम दिवस पर श्याम_ सुदामा मिलन की संगीतमय कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जैसे ही भगवान को बाल सखा के मिलन की कामना का अहसास हुआ वैसे ही प्रभु ने सुदामा को निद्रा अवस्था में ही गरुण पर सवार कर द्वारिका में बुला तो लिया पर द्वारपालों ने रोक दिया जिसके बाद प्रभु दौड़कर अपने मित्र के चरणों को धो आसन पर बिठा कर चरण दबाने लगे, तब सखा_मिलन की खुशी में आखों से आसूं झरने लगे।
आचार्य देवकृष्ण ने आगे बताया कि राजा परीक्षित के लिए मृत्यु पूर्व कथा श्रवण हेतु सात दिवस का निश्चित अवधि थी परंतु आप हम सबके पास वह तय समय भी नहीं है क्योंकि हमारे इंतकाल का समय काल के हाथों में है अर्थात हमारी मृत्यु कभी भी हो सकती है ऐसे में बिना समय गंवाए जीवन में मोक्षदायिनी श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर लेना चाहिए ताकि अंत समय में हंसते हुए प्रभु की शरणागति मिल जाये क्योंकि एकमात्र यही कथा है जिसके श्रवण से इक्कीस पीढियां लाभान्वित होकर आनंद व मोक्ष को प्राप्त करती हैं ।
आज सिद्ध हनुमान परिवार सक्ती के ओमप्रकाश वैष्णव, कोंडके मौर्य, सुनीता अमित तंबोली, महेंद्र तंबोली,अरविंद देवांगन, हनु महाराज आदि शामिल होकर हनुमान चालीसा पाठ किया तथा व्यास पीठ को इक्यावन दीपों की भव्य महाआरती समर्पित किया।
आज श्रोताओं ने आचार्य देवकृष्ण जी की कथा वाचन व सुरमयी संगीत से भाव विभोर होकर उन्हें विलक्षण प्रतिभाशाली कथावाचक बताते हुए अंचल का गौरव कहा। ग्राम बोइरडीह के पावन धरा पर साहू परिवार के द्वारा अपने स्मृतिशेष मृतात्माओं के मोक्षार्थ व मनोकामना पूर्ति हेतु आयोजित भागवत कथा में आचार्य देवकृष्ण के मधुर भजनों व साथियों के संगीतमय प्रस्तुति व भक्तिमय वातावरण में लोग बड़ी संख्या में कथा रसपान कर रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि भागवत प्रवाह आध्यात्मिक सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के सान्निध्य में आचार्य श्री के मुखारविंद अनवरत भागवत कथा का अविरल प्रवाह के साथ सामाजिक सरोकार के कार्य भी अनवरत जारी है।
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