अभी-अभी तो हम गणपति बप्पा को घर लाने की तैयारी कर रहे थे। अब देखो दो दिन बीत गए और आज उनके जाने का समय आ गया। दरअसल जो लोग ज्यादा व्यस्त रहते हैं, वे तीसरे दिन बप्पा का विसर्जन कर देते हैं।
आप भी अगर बप्पा की विदाई आज कर रहे हैं, तो नदी, झील, तालाब में विसर्जित करने की जगह घर पर ही विसर्जन करें। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
परंपरागत रूप से, गणपति की मूर्ति को प्राकृतिक जलाशय में विसर्जित किया जाता है, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण और शहरी क्षेत्रों में जगह की कमी जैसी कई आधुनिक चुनौतियों को देखते हुए, घर पर गणपति विसर्जन करना एक आम बात बन गई है। इसे धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही क्षेत्रों में उचित माना जाता है, लेकिन इस अनुष्ठान को बहुत ही भक्ति और पवित्रता के साथ किया जाना चाहिए।
घर पर गणपति स्थापना की ही तरह, गणपति विसर्जन का समय भी महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषीय रूप से, दिन के कुछ निश्चित समय ही विसर्जन करने के लिए शुभ माने जाते हैं। आदर्श रूप से, विसर्जन दोपहर या शाम के समय किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान गणेश भक्तों की प्रार्थनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। आप अपने स्थान के आधार पर सटीक मुहूर्त जानने के लिए किसी ज्योतिषी से परामर्श भी ले सकते हैं।
घर में गणपति विसर्जन के लिए, एक साफ, बड़ा कंटेनर चुनें जिसमें विसर्जन के लिए पर्याप्त पानी भरा जा सके। यह सुनिश्चित करें कि उस कंटेनर को किसी पवित्र स्थान पर रखें। कंटेनर इतना बड़ा होना चाहिए कि पूरी मूर्ति उसमें डूब जाए और उसे कोई नुकसान न पहुंचे। आमतौर पर गणपति उत्सव में मिट्टी की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं, जिससे वो आसानी से पानी में घुल जाएं और इससे पर्यावरण को कोई नुकसान भी न पहुंचे।
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