दंतेवाडा संवाददाता – रिकेश्वर राणा
दंतेवाड़ा जिले में मनी लॉन्ड्रिंग अपराध का बड़ा मामला सामने आया है। आलोक भगत नाम के ज़मीन डीलर ने दंतेवाड़ा और गीदम में फॉरेस्ट की जमीन पर कब्जा कर प्लाटिंग का सब्जबाग लोगों को दिखाया। ज़मीन डीलर ने जमीन को दिखा कर करोड़ों रुपए की वसूली की है। हलांकि इस मामले में पुलिस ने आरोपी को रायपुर से गिरफ्तार कर जेल भेजा दिया है। बावजूद इसके पीड़ीतों की संख्या हर रोज बढ़ती जा रही है। ज़मीन दलाल ने ज़िले के डॉक्टर सहित शासन के लोन वर्राटु (घर वापस आईए) अभियान से समर्पण किए गए माओवादी जो समर्पण करने के बाद पुलिस में शामिल हो गए उनको तक नहीं बक्शा। भू माफिया ने सरकारी कर्मचारियों को टारगेट किया । ज़मीन दलाल आलोक भगत ने अधिकांश राशि नगद लेने का प्रयास किया साथ ही पैसा चेक से भी लेने में कोई गुरेज नहीं किया।
अरनपुर आईईडी ब्लास्ट में शहीद की पत्नी ने भी दर्ज करवाई एफआईआर :-
तो वही 26 अप्रैल 2023 अरनपुर ब्लास्ट में शहीद मुन्ना कड़ती की पत्नी ने भी इस माफिया के खिलाफ़ गीदम थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। साथ ही इस माफिया की शिकायत डीजीपी , आईजी , ईओ डबल्यू से लेकर कलेक्टर दंतेवाड़ा तक हुई है। इन अधकरियों के पास शिकायत होने के बाद भी तेज़ी से जांच नहीं हो रही है।
नक्सल संगठन को छोड़ कर मुख्यधारा में आए डीआरजी के जवानों से ठगी :- समर्पित मओवादी मुन्नाकड़ती की पत्नी रामो कड़ती की बड़ी दर्द भरी दास्ता है। उसके पति का तो पूरा परिवार ही माओवाद की आग में झूलस चुका है। मुन्ना कड़ती अरनपुर में हुए बम ब्लास्ट में मारा जा चुका है। 2005 में सलवा जुडूम के दौरान भाई दिनेश कड़ती की हत्या कर दी गई थी। मुन्ना कड़ती कुछ सालों तक संगठन में काम किया। वह एरिया कमेटी सदस्य रहा है। उस पर शासन की ओर से पांच लाख रुपए का इनाम घोषित था। नक्सलवाद को करीब से देखने के बाद मोह भंग हुआ तो वह छोड़ कर मुख्यधारा में आया। अब वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दंतेवाड़ा में ही आसियाना बना कर रहना चाहता था। इसके लिए उसने पहले की और 2019 में भू माफिया आलोक भगत को पैसा दिया। उसके दिखाए सब्ज बाग में फंस गया। पैसा भी नही मिला और घर का सपना भी चकनाचूर हो गया। बच्चों के साथ अपने घर का अधूरा सपना ही रहा। अरनपुर बम ब्लास्ट में मुन्ना कड़ती शहीद हो गया। अब पत्नी पैसे के लिए चप्पल घिस रही है।
आरोपी भू माफिया आलोक भगत
डॉक्टर भी बने माफिया के शिकार:- एक डॉक्टर ने हाल ही में आवेदन दिया है कि उससे 65 लाख रुपए लिए है। उसे प्लॉट भी नही दिया गया है। अब इस मामले की जांच दो थानों की पुलिस कर रही है। वन विभाग ने 2019 में आलोक भगत के खिलाफ जमीन को कब्जा करने का प्रकरण बनाया था। हालांकि अपने राजनैतिक रसूक के चलते खुद को बचाने में कामयाब रहा। इस जमीन का जब पेंच फंसा और पीडि़तों को अपना पैसा डूबते नजर आया, अब एक एक कर लोग बाहर निकल रहे हैं और थाना में शिकायत दर्ज करवा रहे हैं। अभी तक दो थानों में चार आवेदन पहुंचे है। इन चार आवेदन में ही करीब दो करोड़ रुपए की ठगी सामने आ रही है। डॉ राजेश धु्रव से 65 लाख रुपए चेक से लिया है। इस रकम का 35 लाख रुपए आरोपी आलोक भगत ने अपनी मां राजमोहिनी के खाते में 3 लाख 50 हजार रुपए डाला है। इतना बड़ा कारनामा करने के बाद आरोपी फरार हो गया। उसे रायपुर से गिरफ्तार कर जेलास भेजा गया है। आरोपी ने जमीन के नाम से पैसा लेकर घरेलू खर्च एवं चितालंका मे बन रहे मकान मे खर्च होना बताया है। आरोपी के आलोक भगत के भारतीय न्याय साहिंता के तहत 420,467,468 और 471 ममला पंजीबद्ध किया गया है।
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