भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को देव शिल्पी भगवन विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है l भगवान् विश्वकर्मा अस्त्र शस्त्र और मशीनों के देवता के रूप में पूजे जाते है l भगवान विश्वकर्मा ने सतयुग में स्वर्ग, त्रेता युग में सोने की लंका, द्वापर में द्वारिका नगरी और कलयुग में भगवान् जगन्नाथ की मूर्तियों का निर्माण किया था इसलिए इन्हें देवशिल्पी कहा जाता है l
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र हैं। विश्वकर्मा जयंती के दिन लोग अपने कारोबार में तरक्की, उन्नति के लिए औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट से सुबह 11 बजकर 43 मिनट का रहेगा। विश्वकर्मा जयंती की पूजा इसी मुहूर्त में करना शुभ और लाभदायक रहेगा।
आज भूल कर भी ना करें ये गलतियाँ –
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