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लक्ष्मण घाट – यहाँ श्रीराम ने किया था अपने पितरों और लक्ष्मण जी के लिए तर्पण

अयोध्या प्रभु श्री राम की जन्म भूमि होने की वजह से हिन्दुओं के लिए पवित्र तीर्थ है l रामजन्म भूमि होने के साथ साथ यह स्थान पिंड दान के लिए भी सबसे अच्छे स्थलों में से एक है। भारत के विभिन्न भागों से तीर्थयात्री पितृपक्ष के दौरान अयोध्या में सरयू नदी के तट पर पिंडदान करने के लिए पहुंचते हैं।

कहा जाता है अयोध्या वापस लौटने के बाद प्रभु श्री राम ने सरयू नदी के तट पर ही सबसे पहले अपने पिता रजा दशरथ व सभी पूर्वजों के लिए तर्पण किया था l

पौराणिक मान्यता के अनुसार अयोध्या में दो प्रमुख स्थान भरतकुंड व सहस्त्रधारा लक्ष्मण घाट हैं l  सहस्त्रधारा लक्ष्मण घाट के पास ही भगवान लक्ष्मण ने अपना प्राण त्यागा था जब भगवान श्री राम को मालूम हुआ कि लक्ष्मण ने अपने प्राण त्याग दिये है तो भगवान् श्री राम वहां पर गए और वहां पर गुरु वशिष्ठ ने ही कहा कि अब इनका शरीर तो नहीं है लेकिन अब उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंड दान करिए साथ ही उन्होंने यह भी कहा की आज से जो भी व्यक्ति इस स्थान पर पिंडदान करेगा उसके पूर्वजों की आत्मा की शांति मिलेगी और वह सीधे स्वर्ग में प्रस्थान करेंगे

15 दिन के लिए रुक जाते है सभी शुभ कार्य –

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी में वर्ष भर पर्व त्यौहार के मौके पर शुभ कार्य व धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं लेकिन पितृपक्ष लगते ही वर्ष में 15 दिन के लिए यह सभी शुभ कार्य रुक जाते हैं. पितृ पक्ष के मौके अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने का कार्य करते हैं. पितृ पक्ष पर वैसे तो गया में तर्पण और श्राद्ध का महत्व माना जता है लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार धार्मिक नगरी अयोध्या में भी अपने पूर्वजों को जल से तर्पण देने और श्राद्ध करने से आत्मा को शान्ति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होता है. इसी मनोकामना को लेकर लोग सरयू नदी में पिंड दान करने अपने दिवंगत माता पिता और पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए अयोध्या आते हैं.

अयोध्या में सरयू तट के किनारे पित्रो को जल से तर्पण तथा घाटों के किनारे ब्राह्मणों का भोजन कराकर श्राद्ध करने से पूर्वजो की आत्मा को शान्ति तथा परिवार में सुख शांति मिलता हैं.
पवित्र सरयू नदी के तट पर भात कुंड है जहां लोग हिंदू ब्राह्मण पुजारी की अध्यक्षता में अनुष्ठान करने के अपने दायित्व को पूरा करते हैं। एक प्रथा के रूप में, लोग अपने पूर्वजों के लिए यहां हवन भी करवाते हैं। परिवार पहले नदी में डुबकी लगाते हैं और फिर अनुष्ठान के लिए बैठते हैं, जिसके बाद वे गरीबों को भिक्षा देते हैं और फिर घर लौट जाते हैं।
News36garh Reporter

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