रिपोर्ट-खिलेश साहू
छत्तीसगढ़ राज्य के प्राणदायिनी बांध कही जाने वाले गंगरेल बांध के एक छोर में माँ अंगारमोती माता विराजित हैं। जहाँ प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में अपनी मनोकामना लिए श्रद्धालुगण आते हैं, माँ की चरणों में अपनी मनोकामना अर्पित करते हैं।धमतरी से लगभग 15 किलो मीटर की दूरी पर गंगरेल बांध के पास आदिशक्ति “मां अंगारमोती” का मंदिर है।
प्राचीन मंदिर चंवरगांव में मां अंगारमोती का 600 साल पुराना मंदिर था। लेकिन गंगरेल बांध के बनने के बाद गांव में स्थित मंदिर डूब गया था। लोग कहते हैं कि इसके बाद डूब के क्षेत्र चंवरगांव के बीहड़ में माता स्वयं प्रकट हुईं और अपने तेज से इलाके को अलौकिक कर दिया। चमत्कारों वाली माता के नाम से प्रसिद्ध माता के भक्तों ने 1972 में गंगरेल बांध के पास मां अंगारमोती को स्थापित किया। मंदिर में अंगारमोती माता के अलावा शीतला माता, दंतेश्वरी माता , मनकेश्वरी माता और भैरव बाबा भी स्थापित हैं।
मान्यता है कि श्रद्धा के साथ जो भक्त मनोकामना लेकर आता है, मां उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करती हैं। यहां नवरात्र में भक्त मनोकामना ज्योत भी प्रज्वलित करते हैं।
वहां के पुजारियों के अनुसार आदिशक्ति मां अंगारमोती ऋषि अंगिरा की पुत्री है , मां अग्नि से प्रकट हुई थी, इसलिए माता का अंगारमोती का अंगरमोती पड़ा।
मां अंगारमोती संतान सुख देने वाली माता के रूप में पूरे इलाके में प्रसिद्ध है,संतान सुख के लिए हारे हुऐ लोग बड़ी संख्या में आते है और उनको माता निराश नहीं करती हैं।
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