संवाददाता अशोक मनहर
@कैलाश आचार्य/रायपुर:- गांधी जयंती के अवसर पर रायपुर के गॉस मेमोरियल ग्राउंड में आयोजित “पत्रकार संकल्प महासभा” में प्रदेश के 35 से अधिक पत्रकार संगठनों की एकजुटता देखने को मिली। इस महासम्मेलन में हजारों पत्रकारों ने भाग लिया, जिसमें पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने और पत्रकारों के हितों की रक्षा करने जैसी प्रमुख मांगें उठाई गईं। पीड़ित पत्रकारों ने अपनी आपबीती साझा करते हुए, भ्रष्टाचार और माफियाओं के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर झूठे मामलों में फंसाए जाने और धमकियों का सामना करने का दर्द बयां किया।
प्रदेश में लगातार पत्रकारों पर हो रहे हमले, पुलिस और माफियाओं की मिलीभगत के चलते पत्रकारों का उत्पीड़न चरम पर है। इस महासभा में वक्ताओं ने अधिकारियों और माफियाओं के खिलाफ सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों पर हो रहे हमलों और उनकी सुरक्षा की अनदेखी पर सरकार की कड़ी आलोचना की। पत्रकारों ने बताया कि कैसे उन्हें झूठे आरोपों में फंसाकर जेल भेजने की साजिशें रची जा रही हैं। पिछले हफ्ते कोंटा और कांकेर के पत्रकारों को बेवजह फंसाने की घटनाएं इसका ताजा उदाहरण हैं।
पत्रकार संकल्प महासभा में मौजूद वरिष्ठ पत्रकारों ने मंच से कहा कि प्रदेश की किसी भी सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। मंच पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज ने प्रदेश के मूर्धन्य पत्रकारों का स्मरण किया और मौजूदा हालात पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाते हैं, लेकिन आज सबसे ज्यादा असुरक्षित भी यही वर्ग है।”
पत्रकार सुरक्षा आंदोलन के अग्रणी नेता कमल शुक्ला ने पीड़ित पत्रकारों के अनुभव साझा करवाए। इस दौरान अंबिकापुर के पत्रकार जितेंद्र जायसवाल और कोंटा के बप्पी रॉय सहित अन्य पीड़ित पत्रकारों ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ खबरें प्रकाशित करने पर साजिशन फंसाया गया और उन्हें जेल तक जाना पड़ा। सभा में यह भी बताया गया कि कांकेर के एक पत्रकार को स्थानीय सांसद से जुड़ी खबर प्रकाशित करने पर पुलिस और एनआईए द्वारा झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की गई। पीड़ित पत्रकारों ने एक स्वर में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की पुरजोर मांग की।
महासभा के बाद पत्रकारों ने रैली निकाली और राजभवन पहुँचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। इसके बाद पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री आवास पहुंचा और जनसंपर्क मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए पत्रकारों की सुरक्षा और उनके हितों की रक्षा करने की अपील की। पत्रकारों ने मांग की कि सरकार तुरंत पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करे और पत्रकारों को विभिन्न सरकारी सुविधाएं प्रदान की जाएं।
महासभा में पत्रकारों के हित में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें ग्रामीण पत्रकारों को वेतन देने, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने, बच्चों की शिक्षा में रियायत देने और छोटे पत्र-पत्रिकाओं को नियमित विज्ञापन देने की व्यवस्था शामिल है। इन प्रस्तावों के जरिए पत्रकारों के पेशेवर जीवन में सुधार लाने के लिए कदम उठाने पर जोर दिया गया।
छत्तीसगढ़ में यह पहला अवसर था जब इतने बड़े पैमाने पर पत्रकार एक मंच पर एकत्रित हुए और बिना किसी नेता या अधिकारी का सम्मान किए, अपने मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श किया। यह आयोजन पत्रकारों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें उन्होंने सरकार को अपनी एकजुटता और सुरक्षा के प्रति संजीदा कदम उठाने की चेतावनी दी। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार पत्रकारों की इस न्यायोचित मांग पर क्या कदम उठाती है और पत्रकार सुरक्षा कानून कब लागू होता है।
इस अवसर पर रायपुर सहित संपूर्ण छत्तीसगढ़ के पत्रकार शामिल हुए जिसमें प्रमुख रूप से सुधीर आज़ाद तंबोली, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन छत्तीसगढ (IJU) प्रदेश अध्यक्ष पी सी रथ, महासचिव विरेंद्र कुमार शर्मा, कमल शुक्ला, व्यास पाठक, प्रेस एंड मीडि…
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