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नवरात्री में क्यों किया जाता है कन्या पूजन ? जानिए इसका महत्त्व और पूजन की सही विधि…

चैत्र नवरात्रि हो या शारदीय दोनों में ही कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दौरान, व्रत रखने वाले भक्त अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं और कन्याओं को भोजन करवाते हैं। कन्या पूजन की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई और कन्या पूजन का महत्व क्या है, इसके बारे में आइए विस्तार से जानते हैं।

नवरात्रि कन्या पूजन से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, इंद्र देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर कन्या पूजन किया था। दरअसल, इंद्रदेव देवी मां को प्रसन्न करना चाहते थे। अपनी इच्छा को लेकर इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उन्हें माता दुर्गा को प्रसन्न करने का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव से कहा कि, देवी माता को प्रसन्न करने के लिए आपको कन्याओं का पूजन करना चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए। ब्रहाा जी की सलाह के बाद इंद्रदेव ने माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद कुंवारी कन्याओं का पूजन किया और उन्हें भोजन करवाया। इंद्रदेव के सेवा भाव को देखकर माता प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि, तभी से कन्या पूजन की परंपरा शुरू हुई।

कन्या पूजन करने का दिन और महत्व जानिए

नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करने का विशेष महत्व बताया गया है. लेकिन, अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का महत्व और बढ़ जाता है. इन दिनों कन्याओं को पूजन कर उन्हें भोजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं. शास्त्रों में बताया गया कि माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन करना बहुत ही शुभ माना गया है. कन्याओं की पूजन करने से माता मां दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहती है, इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजन करने का विशेष महत्व माना गया है.

कन्या पूजन विधि

कन्याओं का पूजन करते समय सर्वप्रथम शुद्ध जल से उनके चरण धोने चाहिए। तत्पश्चात उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं। खीर, पूरी, चने, हलवा आदि सात्विक भोजन का माता को भोग लगाकर कन्याओं को भोजन कराएं। कन्याओं को सुमधुर भोजन कराने के बाद उन्हें टीका लगाएं और कलाई पर रक्षासूत्र बांधें। प्रदक्षिणा कर उनके चरण स्पर्श करते हुए यथाशक्ति वस्त्र, फल और दक्षिणा देकर विदा करें। इस तरह नवरात्रि पर्व पर कन्या का पूजन करके भक्त मां की कृपा पा सकते हैं।

कन्या पूजन में इन बातों का रखें ध्यान

देवीभागवत पुराण के अनुसार कुमारी पूजन के लिए कन्याएं रोग रहित होनी चाहिए। जो कन्या किसी अंग से हीन हो,कोढ़ या घावयुक्त हो,अंधी,कानी,कुरूप,बहुत रोमवाली या रजस्वला हो-उस कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए।

9 कन्याओं के साथ कम से एक बालक जरूर होना चाहिए। जिसे कन्या पूजन में बैठाना चाहिए। दरअसल शास्त्रों में बालक को भैरव का रूप माना जाता है।

कन्याओं के विदा होने के बाद तुरंत ही घर की साफ-सफाई नहीं करनी चाहिए।

कन्याओं के लिए जो भोजन बनाएं, उसमें भूलकर भी लहसुन-प्याज का प्रयोग न करें।

News36garh Reporter

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