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रतन टाटा के निधन से देशभर में शोक की लहर, लोगों ने नम आंखों से कहा अलविदा!

न्यूज़36 गढ़ संवाददाता – रघुराज

अरबपति कारोबारी और बेहद दरियादिल इंसान रतन नवल टाटा 86 साल के थे। उनका जाना एक युग के अंत से कम नहीं है। रतन जी के निधन की खबर के बाद से सोशल मीडिया पर लोग उन्हें अंतिम विदाई दे रहे हैं और लिख रहे हैं- आज भारत ने अपना सबसे बड़ा रत्न खो दिया।

बुधवार को देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया। वह 86 साल के थे। बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी। उनके निधन की खबर के बाद से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर #RatanTata ट्रेंड कर रहा है। इस हैशटैग के साथ आम जन से लेकर दुनियाभर के राजनेता, उद्योगपति और सेलिब्रिटीज नम आंखों के साथ ‘भारत के रत्न’ को अंतिम विदाई दे रहे हैं।

बता दें, ‘टाटा ग्रुप’ ने बुधवार को ट्वीट किया, “हम रतन नवल टाटा को गहरी क्षति के साथ विदाई दे रहे हैं, वे वास्तव में एक असाधारण व्यक्ति थे, जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह को बल्कि हमारे राष्ट्र के ढांचे को भी आकार दिया है….”

रतन टाटा के जाने से देश के युवा उद्यमियों अपना एक बड़ा समर्थक खो दिया. उन्होंने अपनी निजी क्षमता से कई स्टार्टअप्स में पैसा लगाया था. लेंसकार्ट, अर्बन कंपनी, फर्स्टक्राई, ओला, ओला इलेक्ट्रिक, अपस्टॉक्स, कार देखो जैसे 45 स्टार्टअप्स में उन्होंने निवेश किया था.

आइए एक नजर उनके जीवन पर डालते हैं:

शुरुआती जीवन

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ. टाटा घराने में वे चौथी पीढ़ी में थे. उनके पिता नवल टाटा को रतनजी टाटा ने गोद लिया था. रतनजी, टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बेटे थे. रतन टाटा की मां का नाम सूनी टाटा था.

रतन टाटा के सगे छोटे भाई का नाम जिमी टाटा है. जबकि उनके पेरेंट्स के तलाक के बाद पिता की दूसरी शादी हुई. इस तरह नोएल, रतन टाटा के सौतेले भाई हुए.

मां-बाप के तलाक के बाद रतन टाटा की ज्यादातर परवरिश उनकी दादी ने की. उन्होंने मुंबई के कैंपियन स्कूल में 8th क्लास तक पढ़ाई की. इसके बाद वे कैथेड्रल एंड जॉन कोनन स्कूल और बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और रिवरडेल कंट्री स्कूल से ग्रेजुएट हुए. इसके बाद उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, जहां उन्होंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई की.

टाटा ग्रुप एंट्री: फर्श से अर्श तक का अनुभव

रतन टाटा ने 1962 में टाटा स्टील (TELCO) के साथ अपना करियर शुरू किया था. खुद घराने के अहम सदस्य होने के बावजूद उन्होंने पहले शॉप फ्लोर पर काम कर प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस लिया, इस अपरेंटिस के बाद उन्होंने तमाम ऊंची पोजीशंस संभालीं.

यहां से बढ़ते हुए वे नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स (NELCO) में डायरेक्टर के पद पर पहुंचे. इन 9 सालों में उन्होंने हर लेवल पर अपने काम को बेहतर किया. 1991 में JRD टाटा ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. उनके कार्यकाल में ग्रुप सही मायनों में एक मल्टी नेशनल कॉरपोरेशन बना.

जोखिम लेने में पीछे नहीं हटते थे रतन टाटा

सबसे बड़ा जोखिम कोई जोखिम नहीं लेना है, तेजी से बदल रही दुनिया में जोखिम नहीं लेना ही एकमात्र स्ट्रैटेजी है जिसके नाकाम होने की गारंटी है: रतन टाटा
रतन टाटा के ग्रुप के चेयरमैन के तौर पर कार्यकाल तब शुरू हुआ, जब देश उदारीकरण के दौर में प्रवेश कर रहा था. इस दौर में रतन जोखिम लेने और उसमें छुपी तरक्की की संभावनाओं को अच्छे ढंग से समझ चुके थे. इसके बाद रतन टाटा ने कई बड़े कदम उठाए, जिन्होंने टाटा ग्रुप को वो विस्तार दिया, जिसे हम और आप आज महूसस करते हैं.

इसी तरह TCS ग्लोबल IT लीडर के तौर पर स्थापित हुई. 2004 में ये कंपनी लिस्ट भी हुई.

संवेदनशीलता से उभरा इनोवेशन

मैंने चार लोगों के परिवार को मुंबई की भारी बारिश में मोटरसाइकिल पर भीगते हुए देखा. मैं समझ गया कि मुझे इन परिवारों के लिए और बहुत कुछ करना होगा, जो विकल्प ना होने के चलते अपना जीवन दांव पर लगा रहे हैं.’
रतन टाटा
ये अनुभव टाटा नैनो की सोच की वजह बनी. आखिरकार वे 2009 में 1 लाख रुपये में ‘टाटा नैनो’ लॉन्च करने में कामयाब रहे. इसी तरह उन्होंने ‘पूरी तरह भारतीय’ कार के सपने को टाटा इंडिका के जरिए सफल किया.

समझा जा सकता है कि रतन टाटा की एंटरप्रेन्योरशिप स्प्रिट के पीछे का असली आधार क्या रहा है.दुनियाभर में सम्मानित हुए रतन टाटा
अगर अवार्ड्स की बात की जाए तो उन्हें ब्रिटेन ने ऑनरेरी नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश अंपायर की उपाधि दी. बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन ने 2010 में उन्हें ओस्लो बिजनेस फॉर पीस अवार्ड से सम्मानित किया.

2014 में उन्हें ‘ऑनरेरी नाइट ग्रांड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश अंपायर’ की उपाधि से नवाजा गया. जबकि फ्रांस ने उन्हें ‘लीजन ऑफ ऑनर’ जैसा प्रतिष्ठित सम्मान दिया. भारत सरकार ने 2000 में उन्हें पद्म भूषण दिया, जबकि देश के लिए उनकी सेवाएं देखते हुए 2008 में उन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया.

कहा जा सकता है कि रतन टाटा ने एंटरप्रेन्योर होते हुए भी जिंदगी को घाटे-मुनाफे से आगे बढ़कर देखा. उन्होंने भरपूर जीवन जिया. लंबा जीवन जिया. अलविदा रतन टाटा.

News36garh Reporter

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