संवाददाता – बसंत राघव
बिलासपुर । ‘डा.पालेश्वरप्रसाद शर्मा सरल सहज व्यक्तित्व के धनी थे , लेकिन उनका लेखन उत्कृष्ट है।” इस आशय के निष्कर्ष आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी कुलपति अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के हैं, जो वे डा. पालेश्वर प्रसाद शर्मा की कृति ” मां महामाया दिव्य ज्योति धाम रतनपुर” के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त कर रहे थे। विशिष्ट अतिथि सुशांत शुक्ला विधायक , बेलतरा विधानसभा क्षेत्र ने कहा कि जिन लोगों ने इतिहास बनाया, ऐसे पुरखों का स्मरण श्लाघनीय है।ऐसे ही व्यक्तित्व डा.पालेश्वर प्रसाद शर्मा का साहित्य के क्षेत्र में योगदान प्रशंसनीय है। पूर्व विधायक चंद्रप्रकाश बाजपेयी ने कहा कि डा. पालेश्वर प्रसाद शर्मा जैसे महान साहित्यकार के प्रदेय को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।
प्रो.बेला महंत बिलासपुर और सरला शर्मा दुर्ग ने स्मृति शेष डा.पालेश्वर प्रसाद शर्मा की सद्य: प्रकाशित कृति” मां महामाया दिव्य ज्योति धाम रतनपुर” की सारगर्भित एवं तात्विक विवेचना की । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात भाषाविद और वरिष्ठ साहित्यकार डा. चित्तरंजन कर ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य के विकास में डा. पालेश्वर प्रसाद शर्मा की भूमिका सदैव अविस्मरणीय रहेगी।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित संस्कृत विदुषी डा. पुष्पा दीक्षित, शोध निदेशक के रूप में डा. पालेश्वर प्रसाद शर्मा पर प्रथम शोध कार्य संपन्न करानेवाली डा.जयश्री शुक्ल तथा” साप्ताहिक गुड़ी के गोठ “, स्तंभ के अंतर्गत डा.पालेश्वर प्रसाद शर्मा को वर्षों तक दैनिक नवभारत बिलासपुर में प्रकाशित करने वाले बिलासपुर संस्करण के प्रथम संपादक बजरंग केडिया तथा “गुड़ी के गोठ” के अनन्य पाठक और 2007 से 2014 तक गुड़ी के गोठ के कतरनों की व्यवस्थित नस्ती प्रकाशनार्थ भेंट करनेवाले शिक्षाविद एवं साहित्य प्रेमी प्रेमशंकर पाटनवार को कौशेय वस्त्र , स्मृति चिन्ह, श्रीफल , पुष्प माल्य एवं प्रशस्ति पत्र भेंटकर उनका सारस्वत सम्मान किया गया। इसके पूर्व मुख्य अतिथि आचार्य अरूण दिवाकर नाथ बाजपेयी , अध्यक्ष डा.चित्तरंजन कर , विशिष्ट अतिथि द्वय वर्तमान एवं पूर्व विधायक सुशांत शुक्ला व चंद्रप्रकाश बाजपेयी ,समीक्षात्मक वक्ता द्वय सरला शर्मा एवं प्रो बेला महंत का भी स्मृति चिन्ह, कौशेय वस्त्र , श्रीफल तथा बूके व पुष्पमाल्य से आत्मीय सम्मान किया गया।
इस अवसर पर समन्वय साहित्य परिवार छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डा.देवधर महंत ने घोषणा की कि आगामी वर्ष से प्रतिवर्ष छत्तीसगढी गद्य विधा के श्रेष्ठ कृतिकार को डा.पालेश्वर प्रसाद शर्मा सम्मान प्रदान किया जावेगा। वहीं समन्वय 2025 का वार्षिकांक डा.पालेश्वर प्रसाद शर्मा पर एकाग्र होगा।
डा.शर्मा के पुत्र राजीव नयन शर्मा , पौत्र अनन्य शर्मा , आदिदेव शर्मा, वासंती शर्मा , साधना शर्मा ,डा अनुभूति तिवारी तथा परिवार जनों ने सभी मंचासीन अतिथियों का भावभीना सम्मान किया।
डा.गंगाधर पटेल पुष्कर ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन महेश श्रीवास ने किया। इस अवसर पर डा.प्रदीप शुक्ला ,रुद्र अवस्थी , राघवेन्द्र धर दीवान , अजय शर्मा , डा. मंतराम यादव , राजेन्द्र मौर्य,डा. सुनंदा मरावी , डा.अल्का यादव ,डा फूलदास महंत , बालगोविंद अग्रवाल, डा..जगदीश कुलदीप , डा. राजेन्द्र वर्मा , रतनपुर , डा.मीनकेतनदासज सांकरा ,केशव दिव्य, मनीषा भारद्वाज सक्ती मनोहर दास मानिकपुरी , कृष्ण कुमार वैष्णव तथा शहर के अनेक साहित्य प्रेमी तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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