अनिल यादव/नेवसा:–
बेलतरा तहसील मुख्यालय व बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में मुरूम खनन के लिए खनिज विभाग द्वारा किसी भी व्यक्ति को खदान लीज पर नहीं दिया गया है। इसके बावजूद समूचे बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में हो रहे निजी तथा शासकीय कार्यों में मुरूम का खुलेआम उपयोग हो रहा है।बेलतरा तहसील मुख्यालय महज दो-तीन किमी में ही शासकीय जमीनों से जबर्दस्त मुरूम का उत्खनन किए जाने की वजह से मुरूम खदान के रूप में बदल जाने से स्पष्ट होता है कि खनिज विभाग की कार्रवाई शून्य हो गई है। हालांकि, खनिज विभाग के अधिकारी सालभर अवैध उत्खनन को रोकने तथा कार्रवाई करने के दावे जरूर करते हैं, परंतु इन दावों की हकीकत बिल्कुल उलट नजर आती है। जिले में मुरूम का अवैध रूप से उत्खनन इतना बड़ा रैकेट है कि आमजनों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं है। प्रतिदिन बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के शासकीय तथा निजी कार्यों के लिए मुरूम की आवश्यकता होती है। बिल्डिंग निर्माण में कॉलम के अंदर बेस पटिंग तथा सडक़ निर्माण में बेस के लिए सर्वाधिक आवश्यक मुरूम की ही होती है।बेलतरा क्षेत्र में खनिज विभाग एक भी खदान को लीज पर ना दिए जाने के बावजूद जिले में आसानी से उपलब्ध होने वाली मुरूम के बारे में पड़ताल की गई तो स्थिति एकदम चौंकाने वाली नजर आई।
जिले व बेलतरा क्षेत्र में सप्लायरों द्वारा आसानी से उपलब्ध कराने वाली मुरूम दरअसल शासकीय जमीनों में खुलेआम हो रहे अवैध उत्खनन से मिल रही है। बीते कई दशकों से अवैध उत्खनन के चलते सैकड़ो एकड़ शासकीय जमीन मुरूम खदान के रूप में तब्दील हो चुकी है। दशकों से एक के बाद एक सभी विभागीय अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हैं तथा अवैध उत्खनन कर्ताओं को शह मिल रही है तो अब बेखौफ उत्खनन हो रहा है, जिस पर लगाम कसने में जिला प्रशासन भी पूरी तरह से फेल साबित हो गया है। बेलतरा विधानसभा क्षेत्र से महज 2-3 किमी दूर स्थित नेवसा,टेकर,फिल्मी, जाली ,सलखा, जैसे रोड आदि ग्रामों के पास शासकीय जमीनों से खुलेआम मुरूम का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। जिससे एक ओर जहां करोड़ों रुपयों के राजस्व की चोरी हो रही है। वहीं, करोड़ो रुपयों की शासकीय भूमि भी खराब हो रही है। जिले में खुलेआम हो रहे मुरूम उत्खनन के बावजूद विभाग द्वारा महज कामचलाऊ कार्रवाई किया जाना तथा रसूखदार लोगों के खिलाफ कभी भी बड़ी कार्रवाई ना किए जाने से विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
नियम में है कि केवल परिवहन की अनुमति दी जानी है। सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार विभाग केवल मुरूम परिवहन की अनुमति देता है। यदि किसी ग्रामीण इलाके में तालाब, नहर निर्माण आदि के लिए खनन किया गया है तथा मुरूम निकली है तो उस मुरूम को दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए केवल परिवहन की ही अनुमति दी जाती है, वो भी पूरी औपचारिकता के बाद कलेक्टर से मिलती है। जिसके बाद परिवहनकर्ता को लिखित में देकर केवल परिवहन की ही अनुमति दी जाती है। परंतु इसके विपरीत उपरोक्त ग्रामों के आसपास मुरूम के बड़े-बड़े खदान कैसे बन गए तथा अवैध उत्खनन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई है ।
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