संवाददाता – राजेंद्र जायसवाल
जिला जांजगीर के शासकीय कन्या प्राथमिक शाला में प्रधान पाठक की मनमानी चरम सीमा पर पहुँच गई है। अंशकालीन सफाई कर्मचारी रागिनी राठौर, जो लंबे समय से विद्यालय में सेवा दे रही थीं, को बिना किसी लिखित सूचना या औपचारिक प्रक्रिया के मौखिक रूप से हटा दिया गया।
गौरतलब है कि जिला कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी अंशकालीन सफाई कर्मचारी को जिला शिक्षा अधिकारी की अनुमति के बिना कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, रागिनी राठौर को हटाने की यह घटना प्रशासनिक आदेशों की खुली अवहेलना दर्शाती है।
रागिनी राठौर ने बताया कि वे अपनी बहाली के लिए कई बार प्रधान पाठक, जिला शिक्षा अधिकारी, और अन्य संबंधित अधिकारियों के पास गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इस दौरान उन्हें आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा है।
इस घटना ने सरकारी विद्यालयों में प्रबंधन और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की निष्क्रियता से यह स्पष्ट होता है कि निचले स्तर के कर्मचारियों के साथ न्याय की उम्मीद करना कितना कठिन हो गया है।
रागिनी राठौर को उनकी नौकरी पर वापस रखने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। प्रधान पाठक की मनमानी और कलेक्टर के आदेशों की अवहेलना पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों।
रागिनी राठौर जैसी महिलाओं के साथ न्याय करना न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह प्रशासनिक प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए भी जरूरी है।
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