सोशल मीडिया पर इतिहास के तीसरे सबसे युवा शतरंज विश्व चैंपियन डी. गुकेश से जुड़े रील्स काफी ट्रेंड कर रहे है l उनका शतरंज के दांव खेलते हुए video हो या जीत सामने देख कर उनका भावुक होना या उनके पिता के साथ उनके रिश्ते को दिखाते video हो हर जगह गुकेश छाए हुए है और भारतीय उनकी जीत से गौरवान्वित है l
कहते है किसी जीत तो दुनिया देखती है लेकिन उस जीत के पहले का संघर्ष कोई नहीं जानता l गुकेश को विश्व चैंपियन बनाने के पीछे ना केवल गुकेश बल्कि उनके माता पिता का भी कड़ा संघर्ष रहा है l
29 मई 2006 को तमिलनाडु के चेन्नई में जन्मे गुकेश दोम्मराजू के पिता रजनीकान्त एक ई.एन.टी. सर्जन है l गुकेश को शतरंज विश्व चैंपियन बनाने के लिए उनके पिता ने अपनी प्रैक्टिस छोड़ दी और पूरी तरह से गुकेश की ट्रेनिग के लिए साथ रहे l वहीँ उनकी माता ने घर चलाने की जिम्मेदारी उठाई l
आज गुकेश ने जो मक़ाम हासिल किया है उसका सपना उन्होंने सात साल की उम्र में ही देख लिया था l गुकेश ने कक्षा 4 के बाद स्कूल जाना छोड़ कर पूरा ध्यान चेस प्रैक्टिस पर लगाया l
उन्होंने 2015 में एशियन स्कूल शतरंज चैम्पियनशिप और अंडर-12 श्रेणी में 2018 में विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप का अंडर -9 वर्ग जीता। U-12 व्यक्तिगत रैपिड और ब्लिट्ज, U-12 टीम रैपिड और ब्लिट्ज, और U-12 व्यक्तिगत शास्त्रीय प्रारूपों में 2018 एशियाई यूथ शतरंज चैम्पियनशिप में गुकेश ने पांच स्वर्ण पदक जीते। वह मार्च 2018 में फ़्रांस में 34 वें ओपन डे कैपले ला ग्रांडे शतरंज टूर्नामेंट के समापन पर एक अन्तर्राष्ट्रीय मास्टर बन गया।
सर्गेई कर्याकिन को हराकर गुकेश इतिहास में सबसे कम उम्र के ग्रांडमास्टर बनने की कगार पर थे लेकिन एक महीने से भी कम समय में यह रिकॉर्ड बनाने से चूक गए। वह 12 साल, 7 महीने और 17 दिनों की उम्र में 15 जनवरी, 2019 को इतिहास में दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रांडमास्टर बने। 2019 तक वे दुनिया के सबसे कम उम्र के ग्रांडमास्टर और भारत के अब तक के सबसे युवा ग्रांडमास्टर हैं।
गुकेश के पिता ने अपने बेटे को एक्स्पोसेर देने के लिए अपना काम छोड़ कर उसके साथ दुनिया की यात्रा की और इन सब के लिए गुकेश के पास कोई प्रायोजक नहीं था। उन्हें पुरस्कार राशि और माता-पिता की ‘क्राउड-फंडिंग’ के माध्यम से अपने वित्त का प्रबंधन करना पड़ा। कई चुनौतियों के बावजूद वह पिछले साल भारत के नंबर एक खिलाड़ी के रूप में अपने आदर्श आनंद से आगे निकल गए। विश्वनाथन आनंद ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने वेस्टब्रिज-आनंद शतरंज अकादमी (वाका) में उन्हें निखारा जो 2020 में काोविड-19 महामारी के चरम के दौरान अस्तित्व में आई l
गुकेश से पहले यह रिकॉर्ड रूस के शतरंज खिलाड़ी गैरी कास्पारोव के नाम था, जिन्होंने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था। गुकेश शतरंज का विश्व खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। उनसे पहले विश्वनाथन आनंद ने पांच बार यह खिताब जीतकर भारत का नाम रोशन किया था।
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