चर्चा में

श्रीमद्भागवत कथा: कंस वध, मथुरा गमन और रुक्मिणी विवाह पर शास्त्री जी का अद्भुत प्रवचन।

जांजगीर चांपा संवाददाता – राजेन्द्र जायसवाल

कांसा, कंचन, कोसा और पुण्य सलिला हसदेव तथा नारायणी धाम के लिए विख्यात चांपा नगर में राजमहल के समीप अधिवक्ता श्री शिवकुमार तिवारी जी के निज निवास पर सर्व पितृ मोक्षार्थ आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण के सातवें दिवस पर विद्वान कथा वाचक पं. अंशुमान मिश्रा शास्त्री जी (गौरव ग्राम, सिवनी) ने अपने प्रेरणादायक प्रवचनों से श्रोताओं को आत्म विभोर कर दिया।

आज की कथा में कंस वध, मथुरा गमन और रुक्मिणी विवाह जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों पर चर्चा की गई। शास्त्री जी ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए धर्म, भक्ति और भगवान के प्रति समर्पण का महत्व समझाया।
कंस वध की कथा सुनाते हुए शास्त्री जी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं के माध्यम से कंस के अन्याय और अधर्म का अंत किया। कंस वध केवल एक अत्याचारी राजा का विनाश नहीं था, बल्कि सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना का प्रतीक था। यह घटना भगवान की अद्भुत शक्ति और अधर्म के विनाश तथा धर्म की पुनर्स्थापना के लिए उनकी अटल प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इसके बाद, श्रीकृष्ण के मथुरा गमन का वर्णन करते हुए शास्त्री जी ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने अपने बचपन के सखा, गोपियों और ब्रजवासियों को छोड़कर कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया। यह प्रसंग भक्ति, त्याग और धर्म के लिए अपने निजी सुखों का त्याग करने की प्रेरणा देता है।
रुक्मिणी विवाह के प्रसंग में भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी के बीच पवित्र प्रेम और समर्पण का वर्णन किया गया। शास्त्री जी ने बताया कि रुक्मिणी ने अपने प्रेम और भक्ति के बल पर भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने का संकल्प लिया। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान ने स्वयं रुक्मी के विरोध के बावजूद देवी रुक्मिणी को अपनाया। यह प्रसंग सच्चे प्रेम, विश्वास और भक्ति की विजय का प्रतीक है।

रुक्मिणी-कृष्णजी के मंगल परिणय के अवसर पर कु संपदा तिवारी कृष्ण जी एवं समृद्धि तिवारी रुक्मणी जी के दिव्य स्वरूप में उपस्थित हुए जिसे देखकर सभी मंत्रमुग्ध हो गए।इस अवसर पर निखिल साहू श्याम वर्मा एवं देवेन्द्र साहू के भक्ति से भरे विवाह गीत एवं भजन-कीर्तन को सुनकर कोई अपने को रोक नहीं पाये।सभी भक्तगण, आयोजक परिवार और उपस्थित श्रद्धालु उत्साहपूर्वक नृत्य करते हुए नजर आए।

आज के पवित्र कथा आयोजन में अनेक विशिष्ट जन उपस्थित रहे, जिनमें डॉ. भारती शर्मा, श्रीमती संगीता अग्रवाल, डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी (पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी, जांजगीर चांपा), शिक्षक एवं साहित्यकार डॉ. रविन्द्र द्विवेदी, साहित्यकार शशिभूषण सोनी, श्रीमती संजू अमर महंत, श्री सविता कोसे दंपति, भुवनेश्वर देवांगन, उपेन्द्रधर दीवान,राजेन्द्र जायसवाल,आयोजक श्रीमती शशिकला पं. शिवकुमार तिवारी, परायणकर्ता पं. पवन तिवारी, मुख्य यजमान श्रीमती दिशा अजय तिवारी, श्रीमती स्वाति जय तिवारी, श्रीमती जया विजय तिवारी, एडवोकेट श्रीमती रीतू लक्ष्मीनारायण तिवारी और तिवारी, श्रीमती प्रीति एन. के. पाण्डेय एवं परिवार के अन्य सदस्य प्रमुख रूप से शामिल थे।
इस अवसर पर राजापारा क्षेत्र की महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कथा के समापन पर आरती और प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया।

News36garh Reporter

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