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टीसीएल शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मूट कोर्ट का किया गया आयोजन ; सहायक कलेक्टर ; न्यायाधीश और एडिशनल एसपी रहे मौजूद:

(संवाददाता – निलेश सिंह)

जांजगीर-चाम्पा:

जांजगीर के टीसीएल शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मूट कोर्ट का आयोजन किया गया. यहां अतिथि के रूप में सहायक कलेक्टर आईएएस दुर्गा प्रसाद अधिकारी, न्यायाधीश प्रियंका अग्रवाल, प्रगति चौहान और एडिशनल एसपी उमेश कश्यप मौजूद थे. मूट कोर्ट में हृष्ठक् के केस को लेकर छात्र-छात्राओं ने मंचन किया और छात्र – छात्राओं ने अलग-अलग किरदार निभाया। एलएलबी के छात्र – छात्राओं ने कहा कि मूट कोर्ट सीखने का बड़ा माध्यम है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसी प्रक्रिया को आभासी और काल्पनिक रुप से मूट कोर्ट के माध्यम से छात्रछात्राओं ने केस का मंचन किया, जिसमें छात्र-छात्राओं ने जज, वकील, आरोपी, गवाह, पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई. मूट कोर्ट में पहुंचे अफसरों ने छात्र – छात्राओं को प्रोत्साहित किया औ कहा कि मूट कोर्ट से निश्चित ही छात्र – छात्राओं को सीखने को मिलेगा। इस मौके पर आभा सिन्हा, अभय सिन्हा, नरेश आजाद, अतिथि प्राध्यापक- प्रियंका मैम व योगेश पैकरा मौजूद थे, यहां छात्र जज ऋतिक शर्मा, लोक अभियोजक शालिनी यादव, सरोज कुर्रे (सहायक) बचाव पक्ष- श्रीया अग्रवाल, समीर कुमार (सहायक) पुलिस अधिकारी- सुनील खूंटे, सुनील चौहान, संजय सोनी गवाह – रविंद्र लठियारे, सूरज कश्यप, सुमन पटेल एस-डी-एम, सुधा निर्मलकर पटवारी – रीना अभियुक्त- सम्मी नारंग पुकार कर्तासूरज गढ़वाल स्टेनो- संतोषी एंकरिंग- सोनाली व सोनिया की भूमिका में रहे।

क्या होता है मूठ कोर्ट –

मूट कोर्ट, कानून की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए एक प्रतियोगिता है, जिसमें वे नकली अदालत या मध्यस्थता कार्यवाही में भाग लेते हैं, इसमें छात्रों को कानूनी तर्क-वितर्क करने, मौखिक बहस करने और लिखित प्रस्तुतियाँ तैयार करने का मौका मिलता है, मूट कोर्ट को मॉक कोर्ट भी कहते हैं। मूट कोर्ट में छात्रों को कानून के छात्रों के लिए ज़रूरी कई गुण और कौशल विकसित करने का मौका मिलता है। विश्लेषणात्मक सोच, गहन शोध, सारगर्भित लेखन, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, सहयोगात्मक टीमवर्क, नेतृत्व, धैर्य, लचीलापन, आलोचनात्मक सोच, स्मृति। मूट कोर्ट में छात्रों को आम तौर पर तीनों की टीमों में काम करना होता है. मूट कोर्ट में छात्रों के प्रदर्शन का आकलन आम तौर पर अभ्यासरत वकीलों, न्यायाधीशों, और कानूनी विद्वानों द्वारा किया जाता है।

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