चाम्पा जिले के खोखरा गांव में 78 लाख 41 हजार 200 रुपये की दिनदहाड़े लूट ने न केवल जिले की पुलिस व्यवस्था बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे को हिला कर रख दिया है। नकाबपोश बदमाशों ने कैश कलेक्शन वाहन को निशाना बनाते हुए पहले गनमैन पर गोली चलाई और फिर बड़ी रकम लेकर फरार हो गए। यह घटना जिले की अब तक की सबसे बड़ी लूट मानी जा रही है, जिसने पुलिसिंग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह वारदात सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि जिले में कानून व्यवस्था के गिरते स्तर का प्रतीक है। नए साल के शुरुआती दिनों से ही डकैती, लूट, और चोरी की घटनाएं लगातार हो रही हैं। नवागढ़ के केरा गांव की शराब दुकान में बदमाशों ने पहले गार्ड्स की पिटाई की और फिर कैश लॉकर उखाड़ ले गए। पुलिस अब तक इस मामले का खुलासा नहीं कर पाई थी कि खोखरा गांव में इतनी बड़ी लूट हो गई।
इसके अलावा राहौद के ग्रामीण बैंक के एटीएम में चोरी की कोशिश और सहकारी बैंक में चोरी की घटनाएं भी जिले में अपराधियों के बढ़ते हौसले को दर्शाती हैं। पुलिस की विफलता यह साबित करती है कि अपराधियों को कानून का कोई डर नहीं रह गया है।
खोखरा गांव की घटना ने जिले में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। दिनदहाड़े गोली चलने और लाखों की लूट होने से यह साफ हो गया है कि अपराधी पुलिस प्रशासन को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। गनमैन के घायल होने और बड़ी रकम की लूट के बाद भी बदमाशों का अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर होना कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
पिछले कुछ वर्षों में जिले में बढ़ते अपराध ने यह साफ कर दिया है कि पुलिस की व्यवस्था चरमरा चुकी है। चोरी और लूट की घटनाओं में पुलिस की सुस्ती, एफआईआर दर्ज करने से बचना, और अपराधियों को सख्त संदेश देने में नाकामी, इन सबने बदमाशों को बेखौफ बना दिया है।
चार साल पहले चाम्पा में हुई 56 लाख की डकैती का पुलिस ने 23 दिनों में खुलासा किया था। लेकिन इस बार की घटना ने पुलिस को हतप्रभ कर दिया है। बिलासपुर आईजी संजीव शुक्ला का घटनास्थल पर पहुंचना और आला अधिकारियों को बदमाशों को जल्द पकड़ने का निर्देश देना इस बात का संकेत है कि प्रशासन पर बड़ा दबाव है।
जिले में लगातार हो रही बड़ी घटनाओं ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन हैं?
क्यों नहीं अपराधियों को सख्त संदेश दिया जा रहा है?
क्या अपराध नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति की कमी है?
पुलिसिंग में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
आवश्यक कदम और प्रशासनिक सुधार की मांग
जिले में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
सख्त पुलिसिंग: अपराधियों में पुलिस का डर पैदा करना आवश्यक है।
सीसीटीवी और डिजिटल सर्विलांस: संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे और डिजिटल निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए।
जनभागीदारी: अपराध नियंत्रण के लिए जनता और पुलिस के बीच संवाद बढ़ाना होगा।
विशेष जांच टीम (SIT): इस बड़ी लूट के खुलासे के लिए विशेष जांच टीम गठित की जानी चाहिए।
जांजगीर -चाम्पा जिले में हुई इस अभूतपूर्व लूट की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए तत्काल कदम उठाना आवश्यक है। यदि समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह लापरवाही जिले की सुरक्षा और नागरिकों के विश्वास को और कमजोर कर सकती है। अब देखना यह होगा कि पुलिस इस चुनौती को कैसे स्वीकार करती है और बदमाशों को कब तक गिरफ्तार कर पाती है।
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