जांजगीर चांपा संवाददाता – राजेन्द्र जायसवाल
चांपा के जे.जी.एम. अस्पताल में आज दिनांक 15/3/2025 दिन शनिवार घटना करीब शाम 7,30 बजे एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसमें जिला शक्ति के निवासी मनीष कुमार सार्वडिया और उनकी पत्नी मनीषा सार्वडिया की मासूम बेटी अंशिका सार्वडिया उम्र 1 साल पांच माह की इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है।
इलाज में लापरवाही बनी मौत की वजह
जानकारी के अनुसार, मनीष कुमार अपनी पत्नी और बेटी अंशिका के साथ बेहतर इलाज के लिए शक्ति से चांपा के जे.जी.एम. अस्पताल पहुंचे। वे दोपहर करीब 2:40 बजे अस्पताल पहुंचे, जहां बच्ची को भर्ती कर लिया गया। लेकिन इस ईलाज के दौरान अस्पताल में मुख्य चिकित्सक डॉ. सुमित गुलाबानी मौजूद नहीं थे। बिना विशेषज्ञ डॉक्टर की निगरानी में बच्ची को ब्लड चढ़ाया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ने लगी। हालत बिगड़ने की सूचना मिलने पर आनन-फानन में डॉ. सुमित गुलाबानी पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और मासूम बच्ची ने दम तोड़ दिया।
परिजनों का रोष: डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग
अंशिका सार्वडिया एक साल पांच दिन की बच्ची की असामयिक मृत्यु से माता-पिता गहरे सदमे में हैं। उन्होंने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय रहते सही देख रेख इलाज मिलता, तो उनकी बेटी की जान बच सकती थी। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
अस्पताल प्रबंधक के द्वारा स्थानीय पुलिस थाना प्रभारी को भी सूचना नहीं जे, जी, एम,अस्पताल के प्रबंधक की घोर लापरवाही सामने आ रही बाहर से आए दो दलाल की इतना सेटिंग की भी मासूम बेटी अंशिका सार्वडिया उम्र 1 साल पांच दिन की इलाज के दौरान मौत हो गई उसके परिजनों भुला फुसला कर शक्ति भेज दिया
मृतिका अंशिका सार्वडिया के परिजन बिलखते माता पिता
अस्पताल प्रशासन पर सवाल
इस घटना के बाद चांपा जे.जी.एम. अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सक और विशेषज्ञों की उपलब्धता को लेकर संदेह जताया जा रहा है। इस तरह की घटनाएँ प्रशासन की असंवेदनशीलता को उजागर करती हैं, जिससे आम जनता का स्वास्थ्य प्रणाली पर भरोसा कमजोर हो रहा है।
जांच और न्याय कार्यवाही की मांग
इस हृदय विदारक घटना के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। परिजनों और स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
क्या प्रशासन इस पर कोई संज्ञान लेगा, या यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा? यह सवाल अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है।
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