फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है l इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी l महाशिवरात्रि को महादेव और माता पार्वती का विवाहोत्सव माना जाता है l देश भर में शिव भक्तों के लिए यह दिन बहुत विशेष होता है l
लेकिन उज्जैन में महाशिवरात्रि के 9 दिन पहले से ही शिव नवरात्रि का उत्सव प्रारंभ हो जाता है l शिव नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव में बाबा महाकाल 9 विशिष्ट स्वरूपों में दर्शन देते हैं। मान्यता है की इन नौ दिनों में जो बाबा महाकाल के दिव्य स्वरुप के दर्शन करते है उनकी हर मनोकामना पूरी होती है l
शिव नवरात्रि के पहले दिन की पूजा फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को होती है। इस दिन भगवान महाकाल के कोटेश्वर स्वरूप की पूजा करते हैं।
मंदिर समिति इस शुभ दिन पर ग्यारह ब्राह्मणों को वारुणी और सोला वितरित करती है। इस अनुष्ठान के बाद, महाकाल की पूजा शुरू होती है। फिर महाकालेश्वर जी को प्रसाद चढ़ाया जाता है, और शाम 3:00 बजे महाकालेश्वर की पूजा के बाद श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान बाबा महाकाल नवीन भव्य वस्त्र और आभूषण धारण करते हैं।
पहला दिन – चंदन, भांग श्रृंगार और वस्त्र धारण l शिवरात्रि से पहले आने वाले नौ दिन खास होते हैं। 29 फरवरी के इस पहले दिन बाबा का चंदन और भांग से शृंगार किया गया. भगवान को हल्दी भी चढ़ाई जाती है।
दूसरा दिन – शेषनाग श्रृंगार l शिव नवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल को आदि शेष या शेषनाग (परमात्मा जिस पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं) की तरह तैयार किया जाता है।
तीसरा दिन – घटाटोप श्रृंगार l शिवनवरात्रि के तीसरे दिन बाबा महाकाल का घटाटोप के आकार में शृंगार किया जाता है।
चौथा दिन – छबीना श्रृंगार l चौथे दिन बाबा महाकाल का सुंदर छबीना श्रृंगार किया जाता है, जिसमें उन्हें युवा रूप में राजकुमार की तरह सजाया जाता है।
पांचवा दिन – होल्कर श्रृंगार l पांचवें दिन बाबा महाकाल को होलकर परंपरा के अनुसार शृंगार कराया जाता है.
छटवां दिन – मनमहेश श्रृंगार l शिवनवरात्रि के छठे दिन बाबा महाकाल को आकर्षक मनमहेश स्वरूप में सजाया गया है।
सातवाँ दिन – उमा महेश श्रृंगार l शिवनवरात्रि के सातवें दिन बाबा महाकाल को उमा महेश का रूप धारण कराया जाता है। इस दिन बाबा महाकाल मां पार्वती के साथ दर्शन देते हैं।
आठवां दिन – शिव-ताडव श्रृंगार। शिव तांडव महाकाल का विशेष श्रृंगार है l इसमें महाकाल निराकार से साकार रूप में भक्तों को दर्शन देते है l यह स्वरुप विकराल होता है l
9वें और अंतिम दिन यानी महाशिवरात्रि के दिन बाबा महाकाल का दूल्हे के रूप में भव्य श्रृंगार होता हैं।
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