कोरबा –
छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल सीट कोरबा से कांग्रेस एक बार फिर मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत को चुनावी रण में उतारने की तैयारी कर रही है। बीजेपी कैंडिडेट सरोज पांडये को टक्कर देने के लिए ज्योत्सना महंत का नाम लगभग फाइनल बताया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी जहां बाहरी है, वहीं पिछले 5 सालों में क्षेत्र की जनता से दूरी के साथ ही सांसद ज्योत्सना महंत के हिस्से में कोई खास उपलब्द्धि नही रही है। ऐसे में ज्योत्सना महंत को दोबारा प्रत्याशी बनाये जाने पर बीजेपी की तेज तर्रार महिला नेत्री और राज्य सभा सांसद सरोज पांडेय भारी पड़ सकती है।
देश में होने वाले आम चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। टिकट बंटवारे के मुद्दे में बीजेपी ने एक बार फिर कांग्रेस से बाजी मारते हुए अपनी पहली लिस्ट में छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीटों सहित 195 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान में अभी भी सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन का दौर जारी है। छत्तीसगढ़ की 11 सीटों की बात करे तो कोरबा और बस्तर की सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। ऐसे में कांग्रेस के पास जहां इन दो सीटों को बचाते हुए अपनी बढ़त बनाना एक बड़ी चुनौती होगी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के कब्जे वाली इन दो सीटों के साथ ही सभी 11 सीट जीतने के लिए बीजेपी ऐढ़ी-चोटी का जोर लगायेगी। यहीं वजह है कि बीजेपी ने कोरबा सीट से बीजेपी की तेज तर्रार महिला नेत्री सरोज पांडेय को अपना प्रत्याशी बनाया है। सरोज पांडये का नाम फाइनल होने के बाद कोरबा सीट से कांग्रेस के सीनियर लीडर और नेता प्रतिपक्ष डाॅ.चरणदास महंत को मैदान में उतारने के कयास लगाये जा रहे थे।
क्योंकि मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत का पिछले पांच साल के कार्यकाल में कोई खास उपलब्द्धि नही रही। पांच साल में ज्योत्सना महंत महत विशेष अवसरों पर ही लोकसभा क्षेत्र कोरबा और कोरिया जिला में दौरे पर नजर आयी। इसके बाद उनका अधिकांश समय रायपुर में ही कटा। ऐसे में ज्योत्सना महंत को दोबारा टिकट मिलने पर इसका बड़ा नुकसान होने की संभावना पहले से ही जतायी जा रही थी। ऐसे में डाॅ.महंत के कोरबा सीट से मैदान में उतरने से इस डैमेज का काफी हद तक कंट्रोल होने की उम्मींद राजनीतिक जानकार लगा रहे है। लेकिन इन सारे कयासों और उम्मीदों के बीच एक बार फिर इस सीट से मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत को कैंडिडेट बनाने की चर्चा तेज हो गयी है। ऐसे में यदि ज्योत्सना महंत का नाम कांग्रेस हाई कमान फाइनल करती है, तो सरोज पांडये की तरह ही ज्योत्सना महंत को भी इस बार बाहरी होने का मुद्दा बुरी तरह से झेलना पड़ेगा। इसके साथ ही पिछले पांच सालों से क्षेत्र की जनता सेे दूरी बनाये रखना ज्योत्सना महंत के लिए भारी पड़ सकता है।
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