श्री रामेश्वर महादेव मंदिर समिति आदर्श नगर चांपा में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री रामेश्वर महादेव मंदिर में प्रातः पूजन से प्रारंभ ,शोभायात्रा , रुद्राभिषेक महाआरती के साथ प्रसाद भंडारा पाकर पुन्य के भागीदार सपरिवार बने मंदिर में प्रसाद सभी भक्तजन विशेष रूप से महिला एवं बच्चों भजन कीर्तन के साथ आनंद मनाया गया ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे।
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशिशिवलिंगतयोद्भूत:कोटिसूर्यसमप्रभ:॥ ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चंदमा सूर्य के नजदीक होता है। उसी समय जीवनरूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग-मिलन होता है।
सूर्यदेव इस समय पूर्णत: उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यन्त शुभ कहा गया है।माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में इसी दिन आधी रात में भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में (ब्रह्म से रुद्र के रूप में) अवतरण हुआ था। प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते हैं। इसलिए इसे महाशिवरात्रि या जलरात्रि भी कहा गया है। इस दिन भगवान शंकर की शादी भी हुई थी। इसलिए रात में शंकर की बारात निकाली जाती है। रात में पूजा कर फलाहार किया जाता है। अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेल पत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।
जांजगीर चांपा संवाददाता – राजेन्द्र जायसवाल
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