कुछ महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग करवाते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल करती हैं। जिसकी वजह से उनका ध्यान मोबाइल पर ज्यादा और बच्चे पर कम होता है। कई बार ब्रेस्टफीडिंग करवाने के बाद मोबाइल के चक्कर में महिलाएं बच्चों को डकार नहीं दिलाती हैं, जिससे शिशु के डाइजेशन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि डाइजेशन यानि की गट हेल्थ कमजोर होने की वजह से पेट में दर्द, कब्ज और कई तरह की समस्याएं होती हैं।
मानसिक विकास पर डालता है असर
मोबाइल रेडिएशन बच्चों को हाइपरएक्टिव बना देती है, जो मानसिक और भावनात्मक असर डालती है। अगर आपका बच्चा छोटी सी बात से परेशान, फ्रस्ट्रेट, गुस्सा और दुखी हो जाता है यह हाइपरएक्टिव का संकेत हैं। ऐसे बच्चे दूसरों की बात कम ही सुनते हैं, बहुत ज्यादा बोलते हैं और दूसरों की बातों को काटते रहते हैं।
स्किन पर रैशेज होना
जिस तरह से मोबाइल का इस्तेमाल करने से वयस्कों की स्किन पर रैशेज होते हैं। ठीक वैसे ही यह बच्चों की त्वचा को भी प्रभावित करता है। मोबाइल का रेडिएशन बच्चों की कोमल त्वचा को डैमेज कर सकता है। इसकी वजह से स्किन पर रैशेज, खुजली और जलन की समस्या हो सकती है।
ड्राई आई की समस्या
बच्चों का स्मार्टफोन की स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना आंखों में सूखे पन का कारण बन सकता है. कम उम्र में ही बच्चों को चश्मा लगने लग जाता है, उनकी आंखों का नंबर बढ़. जाता है इतना नहीं कई बार इस से सिरदर्द जैसी समस्या और माइग्रेन जैसी परेशानी हो सकती है.