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हर नागरिक को गरिमामय विदाई मिले: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का कलेक्टरों को निर्देश, 8 दिसंबर तक दें मुक्तिधामों की रिपोर्ट

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  ने राज्य के सभी कलेक्टरों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों के मुक्तिधामों की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करें।

यह रिपोर्ट फोटोग्राफ्स सहित 8 दिसंबर 2025 तक कोर्ट में जमा करनी होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गरिमामय अंतिम संस्कार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और सरकार की जिम्मेदारी है कि इसके लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

दरअसल, मामला तब शुरू हुआ जब चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा (Chief Justice Ramesh Kumar Sinha) 29 सितंबर को बिल्हा (Bilha) के एक मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे थे। वहां उन्होंने चारों ओर फैली गंदगी और अव्यवस्था देखी।

मुक्तिधाम में न तो पानी था, न बैठने की जगह, और न ही कोई साफ-सफाई। यह देखकर चीफ जस्टिस ने मौके पर ही इस पर संज्ञान (Suo Moto Cognizance) लिया और इसे जनहित याचिका (Public Interest Litigation) में बदल दिया।

13 अक्टूबर को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत (Advocate General Prafull N Bharat) ने बताया कि मुख्य सचिव (Chief Secretary), पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (Panchayat and Rural Development Department) और बिलासपुर कलेक्टर ने अपने हलफनामे (Affidavits) जमा कर दिए हैं।

बिलासपुर प्रशासन ने बताया कि रहंगी (Rahangi) मुक्तिधाम में तुरंत सुधार कार्य शुरू किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) के तहत बने हॉल को प्रतीक्षालय में बदला गया, पानी की व्यवस्था की गई और अंतिम संस्कार प्लेटफॉर्म की मरम्मत कराई गई। साथ ही मुख्य सड़क से मुक्तिधाम तक सीसी रोड (CC Road) बनाने के लिए 10 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है।

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