आज श्रावण मास की शिवरात्रि है, जिसे सावन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में शिवरात्रि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। साल में कुल 12 शिवरात्रियां आती हैं, जिनमें से एक होती है महाशिवरात्रि, और बाकी को मासिक शिवरात्रि कहा जाता है।
क्या होती है मासिक शिवरात्रि?
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और रात्रि में चार प्रहर की पूजा करने से शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं।
सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व
श्रावण मास संपूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित माना गया है। पूरे माह शिवभक्त व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और रुद्राभिषेक सहित विशेष पूजन करते हैं। ऐसे में इस महीने की शिवरात्रि और भी पुण्यदायी मानी जाती है।
जो भक्त इस दिन व्रत और रात्रि जागरण करते हैं, उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह दिन मनोकामना पूर्ति और पापों के नाश के लिए उत्तम माना गया है।
सावन शिवरात्रि 2025 की तिथि और समय
पंचांग के अनुसार सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत
23 जुलाई 2025 (बुधवार) को सुबह 4:39 बजे से होगी,
और यह तिथि समाप्त होगी
24 जुलाई 2025 (गुरुवार) को रात 2:28 बजे तक।
उदयातिथि के अनुसार व्रत 23 जुलाई को ही रखा जाएगा।
शिवरात्रि की पूजा रात्रि के चार प्रहरों में करने का विधान है। प्रत्येक प्रहर में अलग-अलग सामग्रियों और विधियों से भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है:
प्रथम प्रहर: जल और दूध से अभिषेक
द्वितीय प्रहर: दही और घी से अभिषेक
तृतीय प्रहर: शहद और गंगाजल से अभिषेक
चतुर्थ प्रहर: पंचामृत और शुद्ध जल से अभिषेक
हर प्रहर में विशेष मंत्र, भोग और फूलों से शिव की आराधना की जाती है। यह चार प्रहर शरीर, मन, आत्मा और परमात्मा की यात्रा का प्रतीक माने जाते हैं। इस रात्रि जागरण से साधक की आत्मा शुद्ध होती है और शिव तत्व में लीन हो जाती है।









