13 अक्टूबर… हिंदी सिनेमा के इतिहास में यह तारीख हमेशा एक शून्य की तरह दर्ज है। इसी दिन 1987 में हमसे हमेशा के लिए दूर चले गए थे सुरों के जादूगर किशोर कुमार। गायन, अभिनय, निर्देशन, लेखन और संगीत—हर विधा में कमाल करने वाले इस बहुआयामी कलाकार ने अपने अनोखे अंदाज़ से करोड़ों दिलों पर राज किया।
किशोर दा सिर्फ गायक नहीं, एक एहसास थे। उनकी आवाज़ में वो कशिश थी जो हर जेनरेशन को जोड़ती है। “मेरे सपनों की रानी”, “रूप तेरा मस्ताना”, “कहीं दूर जब दिन ढल जाए”, “पल पल दिल के पास”, “कुछ तो लोग कहेंगे” जैसे अनगिनत गीत आज भी लोगों की जुबां पर हैं।
किशोर कुमार ने न केवल रोमांटिक गानों को जिया, बल्कि हास्य, दर्द और जीवन के दर्शन को भी अपने सुरों में ढाला। उनके जैसा बहु-प्रतिभाशाली कलाकार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को विरले ही मिला है।
उनकी पुण्यतिथि पर आज पूरा देश उन्हें नम आंखों से याद कर रहा है। युग बदल गया, लेकिन किशोर दा की आवाज़, उनकी शैली और उनकी आत्मा संगीत में आज भी ज़िंदा है।









