जांजगीर-चांपा संवाददाता – राजेन्द्र जायसवाल
जांजगीर चांपा जिले के चांपा नगर में प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। बीते तीन दिनों से नगर पालिका परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 1 से 27 तक जल आपूर्ति पूरी तरह ठप है, जिससे हज़ारों नागरिकों को गंभीर जल संकट से जूझना पड़ रहा है।
बेसिक सुविधा से वंचित नागरिक
गर्मी के इस भीषण दौर में जब पानी की आवश्यकता सबसे अधिक होती है, उसी समय नलों का सूख जाना नगर प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। न पीने का पानी मिल रहा है, न दैनिक उपयोग का। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को पानी के लिए दूर-दराज़ जाना पड़ रहा है। कई लोग निजी बोरवेल या हैंडपंप पर निर्भर हैं, जहां लंबी-लंबी कतारें और झगड़े की नौबत आ रही है।
न जनप्रतिनिधि संवेदनशील, न अधिकारी सक्रिय
जल संकट जैसे गंभीर मसले पर नगर पालिका परिषद अध्यक्ष श्री प्रदीप नामदेव से संपर्क करने की कई कोशिशें नाकाम रहीं। उनका फोन उठाना तक मुनासिब न समझना जनभावनाओं का अपमान है। जनप्रतिनिधियों का इस प्रकार उदासीन रहना सवाल उठाता है कि आखिरकार जनता की समस्याएं किसके लिए मायने रखती हैं?
भाजपा शासित नगर पालिका की कार्यशैली सवालों के घेरे में
नगर पालिका परिषद में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। ऐसे में जनता पूछ रही है कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा सिर्फ चुनावी मंच तक सीमित क्यों है? यदि विकास की बुनियादी नींव – जल आपूर्ति – ही चरमराई हुई है, तो फिर विकास किसका और किसके लिए हो रहा है?
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी: असंवेदनशीलता या लापरवाही?
अब तक न तो जल आपूर्ति बाधित होने की कोई सार्वजनिक सूचना जारी की गई है, न ही टैंकर से वैकल्पिक आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। नगर प्रशासन और जिला प्रशासन दोनों ही चुप हैं। न कोई कारण स्पष्ट किया गया, न समाधान की दिशा में कोई पहल दिख रही है। यह चुप्पी प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करती है।
जनता की मांगें वाजिब, पर कौन सुने?
वार्डवासियों की मांग है कि –
जल संकट का तत्काल हल निकाला जाए
वैकल्पिक जल आपूर्ति (टैंकर आदि) की व्यवस्था हो
तकनीकी कारण हो तो सार्वजनिक रूप से जानकारी दी जाए
जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से जवाब लिया जाए
आक्रोश बढ़ रहा है – आंदोलन की आशंका
जल संकट को लेकर अब वार्डों में आक्रोश पनपने लगा है। नागरिक चेतावनी दे रहे हैं कि यदि तत्काल समाधान नहीं किया गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। जनसमस्याओं की अनदेखी लंबे समय तक सहन नहीं की जाएगी।
तीन दिन का जल संकट केवल एक तकनीकी समस्या बनी है
तीन दिन का जल संकट केवल एक तकनीकी समस्या नहीं, यह नगर प्रशासन की निष्क्रियता और जनप्रतिनिधियों की असंवेदनशीलता का प्रतीक है। चांपा नगर पालिका को अब जवाब देना होगा कि हजारों नागरिकों को पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधा से क्यों वंचित किया गया? प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधियों को तुरंत सक्रिय होकर समस्या का समाधान करना चाहिए, वरना जनता का आक्रोश किसी बड़े जनांदोलन का रूप ले सकता है।









