आज यानी 22 जुलाई को डॉ. मुथुलाक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddy) जी की पुण्यतिथि है। वे एक अद्वितीय चिकित्सक, समाज सुधारक, राजनेत्री और महिलाओं की आज़ादी की अग्रदूत थीं। आइए उनके जीवन और योगदान पर एक विस्तृत नजर डालते हैं:
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म: 30 जुलाई 1886, पुडुक्कोट्टई (तमिलनाडु) में। पिता नारायणस्वामी अय्यर महाविद्यालय के प्रधान थे और माँ एक देवदासी थीं ।
शिक्षा के प्रति उनका जुनून पिता की सहूलियत से शुरू हुआ—हालाँकि जब वे कॉलेज पहुँचीं, तो एक स्क्रीन लगाई गई और घंटी से भी रोका गया कि भले ही लड़के पहले बाहर जाएँ, लेकिन वे नहीं जाएँगी ।
मेडिकल का करियर
1907 में मद्रास मेडिकल कॉलेज में प्रवेश—पहली महिला छात्रा ।
1912 में सात गोल्ड मेडल के साथ MBBS पूरा किया, फिर हाउस सर्जन बनीं ।
आगे जाकर कैंसर उपचार और अनुसंधान के लिए इंग्लैंड से ट्रेनिंग ली और अड्यार कैंसर इंस्टिट्यूट (1954) की स्थापना में सक्रिय रहीं ।
समाज सुधार व राजनैतिक योगदान
1926: मद्रास विधान परिषद की पहली महिला सदस्य और बाद में उसकी उपाध्यक्ष बनीं—ब्रिटिश इंडिया में पहला ऐसा उदाहरण ।
सदनों में उन्होंने कई सुधार प्रस्तावित किए:
देवदासी प्रथा को समाप्त करने वाला बिल
बाल विवाह पर उम्र सीमा (लड़के 21, लड़कियाँ 16)
वेश्यावृत्ति एवं मानव तस्करी रोकने वाले क़ानून
स्कूलों में महिला शिक्षकों व स्वास्थ्य निरीक्षण की व्यवस्था ।
सामाजिक संस्थाएँ
अवै होम (Avvai Illam): 1931 में देवदासी महिलाओं और बच्चों के लिए आश्रय—बाद में यह विस्तारित होकर महिलाओं और लड़कियों का समुदायिक केंद्र बन गया ।
कैंसर सहायता निधि और अड्यार कैंसर इंस्टिट्यूट: भारत में दूसरी संस्थाएँ जो कैंसर पर ध्यान देती थीं ।
पुरस्कार और विरासत
1956 में पद्म भूषण से सम्मानित ।
1968 में उनका निधन—लेकिन आज भी उनका संस्थान 80,000 से अधिक रोगियों का इलाज कर रहा है ।
कई योजनाओं, शैक्षणिक संस्थानों व सड़कों पर उनका नाम अंकित है, और लोगों द्वारा “ब्रिटिश भारत की पहली महिला राजनेत्री” के रूप में याद किया जाते हैं ।
कार्यक्षेत्र और उपलब्धियाँ
शिक्षा पुरूषों के महाविद्यालय में प्रवेश, गोल्ड मेडल डॉक्टर
राजनीति देवदासी पद्धति और बाल विवाह पर कानून, मानव तस्करी रोकना
समाजसेवा आश्रम, महिला आश्रय, बच्चों और पिछड़ी जातियों के लिए पहल
स्वास्थ्य महिला व बच्चों की चिकित्सा, कैंसर अस्पताल की स्थापना
डॉ. मुथुलाक्ष्मी रेड्डी जी ने अपने अदम्य साहस, दूरदर्शिता और समर्पण से भारत में महिलाओं की स्थिति को सेंट ऑगसेट तक पहुँचाया। आज उनकी पुण्यतिथि पर हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और समाज में समानता और मानवता के उनके मिशन को आगे बढ़ाना चाहिए।









